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सोमवार, 29 जुलाई 2019

नही करते



माना कि है एक बरसात, आंखों में तेरी
मगर हर किसी आंगन बरसा नही करते

सुना है बाजार में उतरी है, चीजें कई नई
मगर हर किसी को जरूरी कहा नही करते

आयेगें कई तुमसे कुछ सुनने की आस में
मगर हर कही हाले दिल, बयां नही करते

उसने दे तो दिये कांधे तुझे सहारे के लिये
मगर हर इक ठौर पलाश ठहरा नही करते

मिलेंगें बहुत तुमसे, अजीज रहनुमा बनकर
मगर हर किसी को तबज्जो दिया नही करते

माना तेरी मेजबानी का, सारा जमाना कायल
मगर हर शख्स से हमप्याला हुआ नही करते

शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

ख्यालों में



वक्त काफी गुजरता है उनके ख्यालों में
कोई साथ रहने लगा, शहर-ए-ख्यालों में
रातें करवटें औ ख्वाब बदल रहे आजकल
वो जवाब बन आने लगा, मेरे सवालों में
जिक्र करना भी है, औ छुपाना भी सबसे
बेसबब नही तेरा आना, मेरी मिसालों में
चंद रोज की हैं मुलाकातें, उनकी अपनी
महसूस हुआ, जो होता नही है सालों में
रखते तो हैं ऐहतियात, इश्क पर्तो में रहे
उन्हे सोचा और आ गया दिल बवालों में
बैचैनियां तडपती है और सुकून मिलता है
कुछ अलग सा है ये हाल, गुजरे हालों मे
वो घडी कोई नही, कि हम नशे में न हो
अजब कशिश है उन निगाहों के प्यालों में
वक्त काफी गुजरता है उनके ख्यालों में
कोई साथ रहने लगा है शहर-ए-ख्यालों में

गुरुवार, 18 जुलाई 2019

क्या छोडूं और क्या बांधू

नवजीवन का आगमन, कई प्रश्न भी लेकर आया है
कुछ दुविधा में मन मेरा, क्या छोडूं और क्या बांधू

क्या छोडूं उस चिडियां को, जो फुदकती आंगन में
या छोडूं अल्लहडपन को, जो बरसता था सावन में
क्या कुछ काम के ये होंगे, या कर्कट साबित होगे
या बरसों बक्सों मे बन्द, बस आभासी साथी होंगें
नवखुशियों का आगमन, जटिल पहेली भी लाया है
कुछ दुविधा में मन मेरा, क्या छोडूं और क्या बांधू

किन यादों को धरती के, आंचल में दबा कर तज दूँ
किन स्मॄतियों को हदय के, पन्नों में अंकित कर लूँ
क्या विरक्त हो जायेंगी, या नवप्रभा भोर की देखेंगी
क्या मेरी बचपन गाथा में, अनुरक्ति किसी की होगी
नवप्रभात का आगमन, कुछ संशय भी संग लाया है
कुछ दुविधा में मन मेरा, क्या छोडूं और क्या बांधू
  
मुक्त करूं कुछ बंधुजनों को, या भावों को ढीला कर दूँ
या नयनों में भर नाते, क्या दायित्वों पर ताला चढ दूँ
मन विमुक्ति हो जायेगा, या चिरकाल ऋणी रह जायेगा
भावनाओंं के भंवर का भला, क्या समाधान हो पायेगा
नवबंधन का आगमन, कृतध्नता का भार भी लाया है
कुछ दुविधा में मन मेरा, क्या छोडूं और क्या बांधू
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