प्रशंसक

रविवार, 27 फ़रवरी 2011

दर्द को हँसना सिखा दो







वो  कहते हैं मुझे हंसने का बहाना नही मिलता ।

खुश हो लेते दो घडी वो मुस्कुराना नही मिलता ॥ 

दर्द तो हर पल मेरे साथ साये से रहते हैं  ।

हम जिससे बांट लेते वो दीवाना नही मिलता  ॥


साथ खुशियों में देना जमाने की आदत है यही ।

अश्को को तो आँखो में भी ठिकाना नही मिलता ॥

तुम खोजते हो किसको जरा आईना तो देखो ।

दुनिया खुद से ही है किसी को जमाना नही मिलता ॥


कोशिश तो करो हर खुशी पर तेरा भी हक है ।

हाथ पे हाथ धरने से तो निवाला नही मिलता ॥

वक्त की मार पडी है तो इतना गम ना कर ।

 तपें बिना सोने को सही नजराना नही मिलता ॥


इंसा वही है जो दर्द को भी हंसना सिखा दे यूं  । 

कि तकलीफे कहें हमे तडपानें का निशाना नही मिलता ॥

आज जिस बात पर रोते हो कल हंसोगे उसी पर ।

फिर कहोगे एक रोज कि रोने का बहाना नही मिलता ॥

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

स्लैप डे (१५ फरवरी )



इधर कुछ दिनों से वह कुछ बीमार सी थी , मगर कल जब सुबोध ने उससे रोज गार्डेन में मिलने के लिये आने को कहा तो वह मना नही कर सकी । पिछले तीन साल पहले वो पहली बार उससे वही तो मिली थी , और तब से हर साल वो अपना और अपने प्यार की वर्षगांठ मनाने वही जाते थी । ये एक संयोग ही था कि उसका जन्मदिन वैनेन्टाइन डे पर ही होता था । उस दिन वो अपना जन्मदिन मनाने ही तो अपनी सहेलियों के साथ गयी थी , और वही सुबोध से मिली थी । वहाँ उसकी सुबोध से मिलना भी किसी फिल्मी कहानी से कम ना था । आज हिम्मत ना होते हुये भी वो पूरे मन से सुबोध से मिलने गयी थी । पूरे दिन वो साथ रह कर जब शाम को घर लौटी तो उसे लगा कि उसने जा कर अच्छा ही किया ।  आज सुबह जब वो डाक्टर के पास से अपनी रिपोर्ट ले कर आई तो जैसे उसके पैरों से जमीन ही खिसक गयी । उसे एड्स हुआ था । उसे अपने से ज्यादा चिन्ता सुबोध की हो रही थी , कैसे उसे बताये , वो यह सुन कर बिल्कुल टूट जायगा । काफी सोचने के बाद उसने निर्णय लिया कि वो उसे बता देगी और साथ ही उससे यह वादा भी ले लेगी कि वो किसी और से शादी कर ले । मेरे साथ अब उसका कोई भविष्य नही । उसने सुबोध को जैसे ही फोन किया- सुबोध बोला कहाँ थी सुबह से कितनी बार फोन किया उठाया क्यो नही मै बस आफिस से तुम्हारे घर ही आने वाला था , मैने उसको बीच में रोकते हुये कहा –सुबोध मै जो कहने जा रही हूँ उसे बहुत धैर्य से सुनना मुझे एड्स हो गया है ।मेरे ये कहते ही उसने कहा- सुमी ये क्या कह रही हो ,ऐसा कैसे हो सकता है , हम किसी अच्छे डाक्टर को दिखायेंगें । मैने कहा सुबोध अब कोई उम्मीद नहीं ,ये रिपोर्ट एकदम सही है । तब सुबोध ने बिल्कुल रूखे ढंग से कहा – सुमी अगर ये सच है तो हमें बहुत धैर्य से काम लेना होगा ।हमें अब अपनी जिन्दगी अलग अलग जीनी होगी । यह सुनने के बाद मुझमें कुछ भी और सुन पाने की शक्ति शेष नही बची थी , मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे बहुत जोर का तमाचा मार दिया हो जिससे मेरे कान सुन्न से हो गये । फिर कोई शब्द सुनाई नही दिया । मगर दिमाग से एक आवाज आई – हैप्पी स्लैप डे ।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

जब कोई टिप्पणी आती है



जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है 
अद्भुत सी खुशी मिल जाती है,अंजाना अपना सा लगाता है

जब ना मिला कोई अपना जो ,सुन लेता आप बीती मेरी
तब लिख डाली मन की बातें, ब्लाग के कोरे पन्नो पर ।
कुछ अंजाने लोगों ने , दिल से पढी लिखी बात मेरी
बाँट लिये सब दर्द मेरे , अपनी टिप्पणियां दे देकर ॥
मेरी तकलीफों को थोडा सा सुकून तब तब मिलता है
जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है

टूट रही थी जब मै , बिखर रहा था अस्तित्व मेरा
बस यही ख्याल आता था,छोड दूँ मै दुनिया ये ।
जाने किसका करिश्मा था, या अच्छा था मुकद्दर मेरा
जाने कैसे अचानक ही  , आ पहुँची ब्लाग की दुनिया मे  
मेरे मन का विश्वास और हौसला ,थोडा बढ सा जाता है  
जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है

कुछ करने की चाहत अब दिन प्रतिदिन बढती जाती है
कुछ लिखने को व्याकुल , मन ये प्रतिपल रहता है  
छोटी सी आवाज को मेरी ,नयी ऊर्जा मिल जाती है
जब जब चर्चा मंच मेरी कृति की सराहना करता है ॥
मेरे मन के विचारों को तब नया आयाम मिलता है
जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

कहाँ गये वो आँसू .......


सुना करते थे कि आँसू तो
होते अपनेपन की निशानी है।
हर इक आँसू की होती  
कोई ना कोई कहानी है  ॥







बदलने की आदत में दिल के
रिश्ते भी बदलते जाते हैं ।
जिसको अपना समझते हैं
उसी से धोखा खा जाते हैं ॥
किसी की याद में रोना
हो चला अब तो बेमानी है
हर इक आँसू की होती ………………

खुशी किसी की सुनकर अब
आसूँ नही छलकते आँखों से ।
गले न मिलते बरसों के बिछडे
बस हाथ मिलाते हाथों से ॥
आसूँ अब नही रहे मोती
ये बेबस नमक का पानी है
हर इक आँसू की होती ……….............

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

सभी ब्लागर्स से सजग रहने की अपील



कल एक बहुत चौकाने वाली घटना सामने आयी । डा. पवन मिश्र जी की कविता  और अफज़लो की सजा बदल रही है. जिसे उन्होने रविवार, १२ दिसम्बर २०१० को अपने ब्लाग पछुआ पवन पर लिखा था ,  यशपाल के. सिगाह ने  आडियो Mahboob E Mulk ki hawa badal rahi hai  बना कर १७ दिसम्बर २०१० को youtube पर डाला है , और इस बात की जानकारी डा. पवन जी को नही दी गयी । कल अचानक ही यह लिंक  पवन जी ने देखा और फिर हमको इसकी जानकारी दी । तब हमने फेसबुक से उनका ई-मेल पता ले कर उनको मेल किया । और थोडी देर पश्चात उनका उत्तर आया ,जो इस प्रकार है



Yashpal Sihag to me        show details 8:51 AM (18 hours ago)           
Hello aprna ji,
My singing is inspired by Dr. Kumar vishwas, I am not a writer and that gajal was writeen by Dr. pawan kr mishra.
I mentioned my inspiration Dr. Kumar vishwas as a singer not as a writer.
But still it was my mistake and i do agree with that, i didn't mention writer name, so i talked to Dr. pawan kr mishra today, and i requested to forgive my mistake, I also assured him that i will not repeat my mistake in future. and with the kind and large hearted voice he considered me one more chance. so i am thank full to him.
I also would like to thank you for helping me to learn a new lesson from life.
my apologizes for hearting your believes, please forgive me.
Thanking you
Yash
http://www.youtube.com/watch?v=Y_Ua3X4q8lg
2011/1/31 अपर्णा त्रिपाठी
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अपर्णा त्रिपाठी to Yashpal, bcc: Pawan  show details 10:54 PM (4 hours ago)
यशपाल जी
मुझे खुशी है कि आपने समय रहते अपनी गलती स्वीकार कर ली है । किन्तु मात्र गलती मानना ही तो पर्याप्त नही होता , हमे गल्तियों को सुधारना भी चाहिये । डा. पवन मिश्रा जी ने आपको क्षमा कर दिया , उनका ह्दय विशाल है । यदि आप वास्तव में उनका सम्मान करते हैं और आप से यह भूल अन्जाने में हुयी है तो उसका सुधार भी कीजिये । आप  youtube से अपना वह वीडियों हटा लीजिये । और आप चाहे तो पवन जी की लिखित अनुमति के बाद आप पुनः नया वीडियों बना कर डाल सकते है जिसमें लेखक का नाम भी आना चाहिये। गीत की गायकी के लिये आपके पास लिखित अनुमति होनी चाहिये , यदि उसे लाभ के लिये उपयोग किया जा रहा है ,(और आपने ऐसा किया है ) अन्यथा यह अपराध की श्रंखला मे ही आता है ।
डा. पवन जी की मै मात्र प्रशंसक ही नही उनकी बहन भी हूँ । और आपके इस कार्य से हमे ढेस पहुँची है ।
समय रहते इसमें सुधार अनिवार्य है । अथवा हमें कुछ ठोस कदम उठने पडेंगें ।
2011/1/31 Yashpal Sihag
palash "पलाश"

Yashpal Sihag to pkmkit, me      show details 1:13 AM (2 hours ago)
Dear Sir,
Thank you very much for your forgiveness.
I would like to request you to allow me to give voice to your writing, I am not an professional singer, I am working in social development sector, I like singing and i found that some of your gajal and poems are very patriotic. so i would  to request you to grant me permission to give voice to your creation. I assure you that any given writing will not be used to generate financial or other benefit.
The video is no more visible on the internet, Until i receive your kind permission.
Waiting for your kind approval
Thanking you
Yash




फिर उन्होने पवन जी से बात करके माफी मांगी । और नेट पर Mahboob E Mulk ki hawa badal rahi hai -- Written by Dr. Pawan Kumar Mishra लिख कर सुधार किया ।

मगर क्या यह मान लिया जाय की यशपाल जी से यह भूल अन्जाने में हुयी है , जब कि उन्होने इस गीत का रिंगटोन भी बनाया है । क्या इस तरह की चोरी क्षमा के योग्य है । क्या लेखक की बिना अनुमति के उसकी रचनाओं का प्रयोग लाभ के लिये करना अपराध की श्रंखला में नही आता ।
 

 अगर हम यह मान भी लें कि यशपाल जी की भावना गलत नही थी तब भी यह स्पष्ट नही होता कि जिसकी कविता वो गाते है उसका नाम तो नही लेते लेकिन कुमार विश्वास जी का नाम जरूर लेते हैं। यह उनकी कथनी और करनी में भेद उत्पन्न करता है । जैसा कि ऊपर वाले चित्र में लिखा गया है 

आप सभी से एक बात कहना चाहूंगी कि आप लोग भी ध्यान दें कि क्या आपकी रचनाओं का प्रयोग आपकी जानकारी के बिना तो नही किया जा रहा ।
क्या ब्लाग जगत पर कुछ ऐसा किया जा सकता है यदि कोई किसी के ब्लाग से उसकी रचना या रचना का अंश ले कर लाभ कमाना चाहता है तो लेखक की अनुमति और सहभागिता अनिवार्य की जाय ।
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