वो कहते हैं मुझे हंसने का बहाना नही मिलता ।
खुश हो लेते दो घडी वो मुस्कुराना नही मिलता ॥
दर्द तो हर पल मेरे साथ साये से रहते हैं ।
हम जिससे बांट लेते वो दीवाना नही मिलता ॥
साथ खुशियों में देना जमाने की आदत है यही ।
अश्को को तो आँखो में भी ठिकाना नही मिलता ॥
तुम खोजते हो किसको जरा आईना तो देखो ।
दुनिया खुद से ही है किसी को जमाना नही मिलता ॥
कोशिश तो करो हर खुशी पर तेरा भी हक है ।
हाथ पे हाथ धरने से तो निवाला नही मिलता ॥
वक्त की मार पडी है तो इतना गम ना कर ।
तपें बिना सोने को सही नजराना नही मिलता ॥
इंसा वही है जो दर्द को भी हंसना सिखा दे यूं ।
कि तकलीफे कहें हमे तडपानें का निशाना नही मिलता ॥
आज जिस बात पर रोते हो कल हंसोगे उसी पर ।
फिर कहोगे एक रोज कि रोने का बहाना नही मिलता ॥
इंसा वही है जो दर्द को भी हंसना सिखा दे यूं
जवाब देंहटाएंकि तकलीफे कहें हमे तडपानें का निशाना नही मिलता
आज जिस बात पर रोते हो कल हंसोगे उसी पर
फिर कहोगे एक रोज कि रोने का बहाना नही मिलता
वाह बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति…………बहुत पसन्द आई।
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंजीवन की गूढ़ बातें कितनी आसानी से शब्दों में ढाल दी आपने . अगर इन्सान दर्द को जज्ब करलें और मुस्कराता रहे तो शायद दर्द का नामों निशान ना बचेगा . खूबसूरत ग़ज़ल .दिल को छू गई .
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
साथ खुशियों में देना जमाने की आदत है यही
जवाब देंहटाएंअश्को को तो आँखो में भी ठिकाना नही मिलता
.....बेहतरीन।
अंधेरे से उजाले की ओर ! हर एक पंक्ति बेहतरीन । बहुत ही अच्छी प्रेरक रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंदर्द के माध्यम से सही सन्देश दिया है.
जवाब देंहटाएंसाथ खुशियों में देना जमाने की आदत है यही
जवाब देंहटाएंअश्को को तो आँखो में भी ठिकाना नही मिलता
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..बहुत प्रेरक
अच्छी प्रभावशाली अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंदर्द तो हर पल मेरे साथ साये से रहते हैं ।
जवाब देंहटाएंहम जिससे बांट लेते वो दीवाना नही मिलता ॥
इन पंक्तियों का रूमानी टच ग़ज़ल की खुशबू बिखेरने को बेताब-सा लग रहा है. रचना अच्छी है
साथ खुशियों में देना जमाने की आदत है यही ।
जवाब देंहटाएंअश्को को तो आँखो में भी ठिकाना नही मिलता
दिल को छूती है यह पंक्तियाँ सुंदर रचना बधाई.....
बहुत ही सुन्दर अलफ़ाज़.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ग़ज़ल है.एक ही मौजू पर सारी ग़ज़ल.
तुम खोजते हो किसको जरा आइना तो देखो ।
दुनिया खुद से ही है किसी को जमाना नही मिलता ॥
सलाम.
किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार।
जवाब देंहटाएंवक्त की मार पडी है तो इतना गम ना कर ।
जवाब देंहटाएंतपें बिना सोने को सही नजराना नही मिलता ॥
बहुत खूब कथन है आपका
बधाई
बहुत ही अच्छी लगी ये रचना
जवाब देंहटाएंदर्द तो हर पल मेरे साथ साये से रहते हैं ।
जवाब देंहटाएंहम जिससे बांट लेते वो दीवाना नही मिलता ॥
बहुत खुबसूरत. दर्द बाटना कभी इन्सान का स्वभाव था, आज किसी सरफिरे को तलाशा जाता हैं...प्रश्न उठता हैं क्या हम अब रुग्न हो गए हैं?
सुन्दर और परिपूर्ण अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंइंसा वही है जो दर्द को भी हंसना सिखा दे यूं । सच मे हसने के बहाने जीवन मे कभी कभी मिलते हैं उन्हें भरपूर जी लेना चाहिये। अच्छी रचना के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रेरक सोच । शुभ्कामनायें ।
जवाब देंहटाएंप्यार खुद hotho pe khushi lata hai
जवाब देंहटाएंsachche ahsash se man jhoom jhoom jata hai
kabhi kisi se sachcha प्यार ker dekho
jamane bher ki khushiyon se daman bher jata hai
@कोशिश तो करो हर खुशी पर तेरा भी हक है ।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा , अच्छी रचना |
साथ खुशियों में देना जमाने की आदत है यही
जवाब देंहटाएंअश्को को तो आँखो में भी ठिकाना नही मिलता
वाह ...बहुत ही सुन्दर और भावमय प्रस्तुति ।
भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, आभार.
जवाब देंहटाएंआज जिस बात पर रोते हो कल हंसोगे उसी पर ।
जवाब देंहटाएंफिर कहोगे एक रोज कि रोने का बहाना नही मिलता ॥....
बेहतरीन ग़ज़ल...बधाई!
सशक्त अभिव्यक्ति। सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंर्द तो हर पल मेरे साथ साये से रहते हैं ।
जवाब देंहटाएंहम जिससे बांट लेते वो दीवाना नही मिलता ॥
बेहद शानदार अशआर.....
बहुत खूब कहा है आपने ...।
दर्द को देखकर
जवाब देंहटाएंदर्द से मिलकर
दर्द ही हंसा है
हंसी को कभी
दर्द हुआ ही कहां है
मनभावन, अभिव्यक्ति ...बधाई
जवाब देंहटाएंसाथ खुशियों में देना जमाने की आदत है यही ।
जवाब देंहटाएंअश्को को तो आँखो में भी ठिकाना नही मिलता ॥
बहुत ख़ूबसूरत रचना
आज जिस बात पर रोते हो कल हंसोगे उसी पर
जवाब देंहटाएंफिर कहोगे एक रोज कि रोने का बहाना नही मिलता
अपर्णा जी
ग़ज़ल का एक- एक लफ्ज गहरे भाव लिए है ....गहरे और सार्थक भावों की अभिव्यक्ति ...
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआज जिस बात पर रोते हो कल हंसोगे उसी पर
जवाब देंहटाएंफिर कहोगे एक रोज कि रोने का बहाना नही मिलता.
Bahut Khub.....
तुम खोजते हो किसको जरा आइना तो देखो ।
जवाब देंहटाएंदुनिया खुद से ही है किसी को जमाना नही मिलता ॥
bahut khub .....waaah shandar
गहरे और सार्थक भावों की अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंअपने भीतर ही थी हँसी। ग़लत प्रोग्रामिंग के कारण कहीं खो-सी गई। अब देखिए,उसे ढूंढना पड़ रहा है।
जवाब देंहटाएं