कभी कभी अकेलेपन का ,साथ भी मन को भाता है ।
तन्हाई में ही तो मन ,दिल की कही सुन पाता है ॥एकान्त में इक अलग से, सुकून का अनुभव होता है ।
ऐसे में ही तो मन अपनी, अच्छाई बुराई गिन पाता है ॥कुछ ऐसे पल जब हम, बस खुद के लिये जीते है ।
समझ आता है मन को कि, मेरा मुझसे भी इक नाता है ॥कितने अनसुलझे रहस्यों की, ग्रन्थियां खुद-ब-खुद खुल जाती है ।
जीवन की नदिया को अक्सर, इक नया आयाम मिल जाता है ॥उलझे से मन की हर इक, धुंधली धुंध तब छट सी जाती है ।
बीता वक्त चुपके से आ, जीवन का नव-स्वप्न बुन जाता है ॥
कभी कभी अकेलेपन का , साथ भी मन को भाता है ।
तन्हाई में ही तो मन , दिल की कही सुन पाता है ॥
कभी कभी अकेलेपन का ,साथ भी मन को भाता है ।
जवाब देंहटाएंतन्हाई में ही तो मन , दिल की कही सुन पाता है ॥
भावनाओं को बहुत सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है .....वह यह तन्हाई जो हमें खुद से मिलने का अवसर तो देती है .......आपका आभार
तन्हाई का अर्थ है जब हम केवल अपने साथ होते है सुंदर भाव बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंअपर्णा जी, इतनी गहरी बात आपने इतने आसान लफ्जों में कह दी। यकीन ही नहीं होता।
जवाब देंहटाएं------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
कितने अनसुलझे रहस्यों की,
जवाब देंहटाएंग्रन्थियां खुद-ब-खुद खुल जाती है ||
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
आपको बहुत बहुत बधाई |
लगता है जैसे मेरे मन की ही बातों को आपने खूबसूरत शब्द दे दिये हों। बेहद पसंद आई यह कविता।
जवाब देंहटाएं---------
कल 13/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
कभी कभी अकेलेपन का ,साथ भी मन को भाता है ।
जवाब देंहटाएंतन्हाई में ही तो मन ,दिल की कही सुन पाता है ॥ बहुत ही खुबसूरत....
tanhayi hi to sabse bada sathi hoti hai .......bahut sundar bhav.
जवाब देंहटाएंbahut sundar..in thode se lafjon me bahut kuchh kah diya aapne..
जवाब देंहटाएंभावनाओं को बहुत सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसमझ आता है तब मन को, की मुझसे मेरा भी एक नाता है ...वाह बहुत ख़ूब ....
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
बहुत खूबसूरत और प्रेम पगी रचना ..
जवाब देंहटाएंबड़ी खूबसूरती से शब्द दिए...सुन्दर भाव..बधाई.
जवाब देंहटाएंबड़ी खूबसूरती से शब्द दिए...सुन्दर भाव..बधाई.
जवाब देंहटाएंवाकई ...कभी कभी अकेलापन बहुत अच्छा लगता है !
जवाब देंहटाएंकभी अकेलापन भाता है, बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंbahut khoob....saral shabdo mai man ki baat kehti rachna
जवाब देंहटाएंसुंदर..!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना ... भावमय करते शब्द ।
जवाब देंहटाएंतन्हाई पर लिखी बहुत सुंदर और अनोखी रचना बहुत बहुत बधाई आपको /अकेलेपन का साथ भी कभी कभी सबको भाता है और अपने अन्दर झाँकने का मोका भी मिल जाता है /
जवाब देंहटाएंplease visit my blog
www.prernaargal.blogspot.com
खूबसूरत भावो से ओतप्रोत बहुत सुन्दर भावभिव्यक्ति....बधाई....
जवाब देंहटाएंकभी कभी अकेलेपन का ,साथ भी मन को भाता है ।
जवाब देंहटाएंतन्हाई में ही तो मन ,दिल की कही सुन पाता है ॥
.मनो -विश्लेषण परक रचना ,आत्मा लोचन कराती ,खुद का खुद से संवाद ,मेल मिलाप कराती ...http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/09/blog-post_13.हटमल
अफवाह फैलाना नहीं है वकील का काम .
कभी -कभी अकेलापन बहुत भाता है ......
जवाब देंहटाएंसचमुच... तन्हाई भी भाती है...
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति....
सादर...
बहुत सही कहा आपने...
जवाब देंहटाएंएकांत में ही व्यक्ति अपने साथ हो पाता है...और जबतक अपना साथ न हो,व्यक्ति स्वयं को पहचानेगा कैसे....
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.....
में और मेरी तन्हाई , अक्सर ये बातें करते हैं ....
जवाब देंहटाएंकभी कभी अकेलेपन का ,साथ भी मन को भाता है ।
तन्हाई में ही तो मन ,दिल की कही सुन पाता है ॥
एकान्त में इक अलग से, सुकून का अनुभव होता है ।
ऐसे में ही तो मन अपनी, अच्छाई बुराई गिन पाता है ॥
कुछ ऐसे पल जब हम, बस खुद के लिये जीते है ।
समझ आता है मन को कि, मेरा मुझसे भी इक नाता है ॥
बहुत सुंदर रचना ....
तन्हाइयां बहुत कुछ कह जाती हैं तन्हाई में ही अक्सर ...
जवाब देंहटाएंकभी कभी अकेलेपन का , साथ भी मन को भाता है ।
जवाब देंहटाएंतन्हाई में ही तो मन , दिल की कही सुन पाता है ॥
.....बहुत सच कहा है...बहुत ज़रूरी है कभी तन्हाई के स्वर भी सुनना...बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
अकेलेपन में इंसान खुद के पास होता है..अच्छे से समझने का मौका मिलता है खुद को!!
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंआप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
जवाब देंहटाएंअरे बन के निर्मल निर्झर
जवाब देंहटाएंइस एकांत शांत प्रान्गड़ में किसे सुउनाते सुमधुर स्वर