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शुक्रवार, 8 मई 2020

विरह गीत

कहता हदय तुम पास मेरे,
ये नैन कहें, तुम दूर प्रिये
अधर इधर खामोशी से,
तकते रहते तेरी राह प्रिये

अनगित स्वप्नों की माला,
अविरल मैं बुनती रहती
प्रकरण अपनी यादों के,
अपलक मैं गुनती रहती
धैर्य धरे हम धीरज से,
करें मिलन की आस प्रिये
कहता हदय तुम पास......…..

पायल के गुंजित स्वर भी,
अब मद्धिम से होते जाते
आंखों के बहकते कजरे,
बहने को विकल हुए जाते
कह दो ज़रा इस बिंदिया से,
छोड़ें ना यूं विश्वास प्रिये
कहता हदय तुम पास......…..

इक सुखद स्वप्न सा लगता,
मुझमें तेरा मिल जाना
तपती जेठ की अग्नि में,
ज्यों हिम का घुल जाना
मिल तुमसे ये आभास हुआ,
तुम ही मेरी श्वास प्रिये
कहता हदय तुम पास......…..

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