टूट रहा है धीरज सबका, कुछ तो आस बंधा जाओ
बिलख रहे सब नर नारी, ऐसी आई विपदा भारी
देख तुम्हारी दुनिया को, जकड़ रही इक बीमारी
डूब रहा संसार तुम्हारा, अब नैया पार लगा जाओ
सुन कर विनती भक्तों की, हे ईश्वर अब तो आ जाओ
तुम करुणा के सागर हो, दुखियों की सुख गागर हो
हो पालनकर्ता भव भंजन, मीरा के गिरधर नागर हो
संकट में सन्तान तुम्हारी, निर्बल को बली बना जाओ
सुन कर विनती भक्तों की, हे ईश्वर अब तो आ जाओ
शरण पड़े प्रभु हम तेरी, तुम बिन कौन सुने मेरी
हम अज्ञानी मूरख जन, कर दो क्षमा गलती मेरी
हों उपकारी हितकारी, ऐसा सद्ज्ञान जगा जाओ
सुन कर विनती भक्तों की,हे ईश्वर अब तो आ जाओ
टूट रहा है धीरज सबका, कुछ तो आस बंधा जाओ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआंख मूंद कर आधुनिकता के पीछे और मानवता से दूर जाते समाज की तरफ से प्रभु से बहुत ही प्रासंगिक प्रार्थना।
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