वो गीत दुआ बन जाते हैं, जो दर्द मे राहत देते हैं
कांटों मे भी जीवन होता है, ये फूल चमन के कहते है......
कोई रात सदा की होती नही,
कोई गम भी सदा तो जीता नही
कोई चाहे भी तो चाह के भी,
हर पल को खुशियां मिलती नही
इस रात की काली चादर में, ही तो तारे झिलमिल सजते है....
वो गीत दुआ..............
मिलती है उसे ही सच्ची खुशी, जो दर्द मे भी खुश रहता है
फिर हों अपने या हों बेगाने, पीडा सबकी ले लेता चलता है
देने सबको जैसे जीवन, पी कर विषप्याला शिव हसते है........
वो गीत दुआ..............
हैं जख्म मिले जो दुनिया
से, तो कैसा शिकवा किस्मत से
जो आज नही कोई साथ मेरे,
तो क्यों रूठे हम कुदरत से
वो लोग ही कुन्दन बनते हैं, जो वक्त की आंच में तपते हैं....
वो गीत दुआ..............
दिल की भावनायें व्यक्त करता सुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - माँ, ( 200 वीं पोस्ट, )
बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंवो लोग ही कुन्दन बनते हैं, जो वक्त की आंच में तपते हैं....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, लाजवाब गीत है ... समय कि आंच जरूरी होती है तपने के लिए ...
बहुत सुन्दर अपर्णा जी...मन खुश हो गया पढ़ कर.
जवाब देंहटाएंSUNDARATAM
जवाब देंहटाएंAwesome Line!!!!
जवाब देंहटाएं"हैं जख्म मिले जो दुनिया से, तो कैसा शिकवा किस्मत से
जो आज नही कोई साथ मेरे, तो क्यों रूठे हम कुदरत से
वो लोग ही कुन्दन बनते हैं, जो वक्त की आंच में तपते हैं."
So impressive and energetic...