ऐ जिन्दगी तेरी चाहत में, न जाने क्या क्या देख लिया
खोने पाने की हसरत में, न जाने क्या क्या देख लियाअपने और पराये को, परिभाषित जब जब करना चाहा
रिश्तों के वादो अनुवादों में, न जाने क्या क्या देख लिया
नन्हे से इस दिल में अब भी, अरमान मचलते बच्चे से
एक ख्वाब हकीकत करने में, न जाने क्या क्या देख लियादिन रात गये मौसम भी गये, बदले दिन महीनों सालों में
इन बरसों के आने जाने में, ना जाने क्या क्या देख लिया
कितनी बातें यादे बनीं, कितनी धुंधलायी, कितनी भूली हैं
इन यादों के संजोने खोने में, ना जाने क्या क्या देख लियाऐ पलाश कहाँ को चली मगर, पँहुच गयी किस दुनिया में
राहों से मंजिल के दरमियां, ना जाने क्या क्या देख लिया
बहुत ही भाव पूर्ण रचना .बहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता
जवाब देंहटाएंवाह , बेहतरीन अभिव्यक्ति ,आपको मंगलकामनाएं एवं होली मुबारक !!
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