जानते हो आप भी
यकी ये हमे भी है
महज चर्चा बुराइयों का करने से
जमीं जन्नत होगी नही
यकी ये हमे भी है
महज चर्चा बुराइयों का करने से
जमीं जन्नत होगी नही
कहते है हम भी
कहते हो आप भी
जमाना खराब हुआ जाता
हर जमाने की है ये कही
कहते हो आप भी
जमाना खराब हुआ जाता
हर जमाने की है ये कही
ठहरो जरा सोचो जरा
किससे बना ये समाज है
कही अपने अंदर भी तो नही
बैठा बुराई का पुतला कही
किससे बना ये समाज है
कही अपने अंदर भी तो नही
बैठा बुराई का पुतला कही
छोड भी दो कहना कभी
ये बुरा है वो बुरा है
कुछ समय खुद को भी दो
न यूं ही कहो हम हैं सही
ये बुरा है वो बुरा है
कुछ समय खुद को भी दो
न यूं ही कहो हम हैं सही
काम कीचड़ उछालने का
नेताओं पर ही छोड दें
आप हम तो आओ मिलकर
उखाड़े वुराइयां जड़ से ही
नेताओं पर ही छोड दें
आप हम तो आओ मिलकर
उखाड़े वुराइयां जड़ से ही
जहां सर सारा समाज रंग गया हो एक रंग में
जवाब देंहटाएंकुछ कह कभी लगा न लो मेहदक महक ढंग से।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 5.7.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3022 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, स्वामी विवेकानंद जी की ११६ वीं पुण्यतिथि “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं
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