रेल की पटरी पर ट्रेन
अपनी पूरी रफ्तार से दौड रही थी, और घोष उस पटरी पर अपनी जिन्दगी की रफ्तार को खत्म
करने के लिये उस पर अपनी पूरी रफ्तार से दौड रहा था, कि विघुत गति से एक हाथ अचानक
आया और वो पटरी से अलग आ गया।
घोष- आपने मुझे क्यों बचाया, मै जीना नही चाहता, मुझे मरना है, आप मुझे
छोड दीजिये..
अजनबी- मगर मुझे आपसे कुछ चाहिये जो सिर्फ आपके ही पास है,
घोष- मगर मैं तो आपको जानता तक नही, और फिर मुझसे आप क्या लेना चाहती
हैं
अजनबी- उधार की जिन्दगी, मुझे आपकी जिन्दगी चाहिये, बस कुछ दिन की, फिर
आप शौक से मर सकते हैं,
घोष- उधार की जिन्दगी, जिन्दगी भी उधार में दी जा सकता है क्या....
अजनबी- जी हाँ , बिल्कुल दी जा सकती है।बस आज से आप ये सोच कर मत जीना
कि आप जी रहे हैं आप आज से मेरे लिये मेरी दुनिया में जियेंगें
घोष- मगर आप ऐसा कैसे सोच सकती हैं कि मै आपकी बात मानूंगा ही, मुझे
जाने दीजिये मुझे मरना है
अजनबी- तो आप मान लीजिये ना कि आप मर चुके हैं, और ये आपका नया जन्म है....
घोष- कुछ देर चुप रहने के बाद , चलिये ठीक है मान लेता हूँ, बताइये मुझे
कहाँ चलना है
अजनबी- आप मेरे साथ चलिये.....
फिर घोष बाबू, उस अजनबी
के साथ रहने लगते हैं
चार महीने बाद..........
फिर वही रेल की पटरी
है .............
अजनबी- घोष बाबू आज आप मर सकते हैं मगर जीते जी मैं आपका ये कर्ज नही भूल
पाऊंगीं, आपने मुझे मेरे जीवन को एक गति दी है, आज आपसे मैं एक बात कहना चाहती हूँ
, मुझे ब्लड कैसर है, उस दिन जिस दिन हमने आपको बचाया था, मैं अपना घर छोड कर यहाँ
आयी थी, क्योकि मै रोज हर पल मरना नही चाहती थी, अपनों की आंखों में हर पल मौत का खौफ
नही देखना चाहती थी, घर से निकल तो आयी थी , मगर रास्ते भर यही सोचती रही थी कि अकेले
कैसे जियूंगीं, जिन्दगी अकेले जीने का नाम नही, प्लेटफार्म पर बैठे उस वक्त भी यही
सोच रही थी, कि अचानक आप पर नजर पडी, और लगा था कि आप के साथ ये बाकी पल मैं जी सकती
हूँ, आज आप सोच रहे होंगें कि आज क्यों मैने आपको मरने के लिये कहा, दरअसल मुझे कल
से अस्पताल में एडमिट होना है , अब घर पर नही रह सकती, बाकी के बचे चंद दिन मुझे अब
अस्पताल में ही काटनें होगें, अब मै चलती हूँ
एक के बाद एक ट्रेन
निकल रही थी, मगर घोष बाबू के कदम पटरी की तरफ नही फिर से उस अजनबी की तरफ बढ गये,
ये कहना मुश्किल था कि वो इस बार उधार देने जा रहे थे या उधार वापस लेने.......
बहुत ही रोचक और प्रभावी कहानी..
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक कहानी है...
जवाब देंहटाएंआज 06-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ... उधार की ज़िंदगी ...... फिर एक चौराहा ...........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
कल 07/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
खत्म होती ज़िंदगी ने भी शायद एक ज़िंदगी बचा दी .... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहद संवेदनशील और रोचक
जवाब देंहटाएंजिन्दगी को जीना एक साधारण बात है,
जवाब देंहटाएंलेकिन किसी के अन्दर मरने से पहले
अपना अक्स छोड यही तो जीवन सार्थक है. बहुत ही
ह्र्दयस्पर्शी कहानी है,
कुछ कहानियां जीवन को दिशा देती है
जवाब देंहटाएंऔर कुछ को हम जीकर लिखते है,
तो ये कहानी जीवन को दिश देने वाली है
सोंचने पर मजबूर करती कहानी ...
जवाब देंहटाएंhttp://vyakhyaa.blogspot.in/2012/10/blog-post.html
जवाब देंहटाएंएक अनदेखा प्यार ...जो वक्त ने करवा दिया ...पर महसूस देर से हुआ ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी ये पोस्ट. अगर आपके जीने से किसी एक को भी खुशी मिलती है या उसके जीवन में अच्छा परिवर्तन आता है, तो आपका जीना सार्थक है.
जवाब देंहटाएंLoved this post... loved a lot.. :-)
जवाब देंहटाएंVery Good Aparna..Keep it up..very touching!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कहानी...
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDER...MARMSPARSHI KAHANI....
जवाब देंहटाएंप्रभावी .. सोचने को मजबूत करती कहानी ...
जवाब देंहटाएंजीवन कभी कभी ऐसे खेल दिखता है ...