एक बार खता
मैने भी की,
दिल किसी से
लगाने की,
एक बार
गुनाह हुआ हमसे
दिल किसी
का चुराने का,
एक बार तमन्ना
कर बैठी,
प्यार किसी का
पाने की,
एक बार हुआ
जी मेरा
इश्क की हद से गुजर
जाने का
एक बार दिखा है मुझको
भी
चांद दिन के उजालों
में
एक बार आया मेरे घर
भी
मौसम भीनी मोहब्बत
का
एक बार नही दो बार
नही
बस तो हर पल एक आलम
है
याद आता है बस अब वो
सब
जो एक बार हुआ, एक
बार हुआ
जो एक बार हुआ वह गहरे पैठ गया हमेशा के लिये…
जवाब देंहटाएंमन की भावनायें ही उकेर दी हैं.
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति आज रविवार (18-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 89" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ,सुंदर |
जवाब देंहटाएंदिल भी तो जाता है बस एक ही बार ... फिर याद आता है हर बार बस प्यार प्यार प्यार ...
जवाब देंहटाएंभावमय ...
प्रेम पर लिखी गयी बेहतरीन रचना। अपर्णा जी हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंदिल को छु लेने वाली ग़ज़ल नुमा कविता..!!
जवाब देंहटाएंयादें तो बार बार आती हैं ... पल चाहे एक ही क्यों न हो ..
जवाब देंहटाएंsundartam....
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