कभी अधूरी प्यास हूँ , कभी खामोश आवाज हूँ ,
कभी धूल मै राहों की , कभी गीत का साज हूँ
कभी किसी का राज हूँ , कभी किसी का नाज हूँ ,
कभी अनबुझ पहेली हूँ कभी तडपती बात हूँ
कभी आइने सी साफ हूँ , कभी पाकीजा आग हूँ ,
कभी मैं शीतल छाया सी ,कभी प्रतीक्षित सौगात हूँ
कभी बहता झरना हूँ, कभी जंजीरों मे जकडी हूँ,
कभी सुहाना मौसम हूं , कभी मचलती बरसात हूँ
कभी तन्हा जीवन हूँ , कभी महफिल की शान हूँ
कभी हंसी सुबह हूँ तो , कभी बिखरती रात हूँ
कभी रिवाजो की गठरी , कभी काठ की पुतली हूँ
कभी लाज शर्म की मूरत , कभी मै टूटी साख हूँ
कभी बोझ अपनो का हूँ , कभी अमानत परायी हूँ
कभी सिमट्ती धरती हूँ , कभी स्वच्छंद आकाश हूँ
बाबुल की चहेती गुडिया हूँ, खुद के लिये "पलाश" हूँ
पर सदा ही मै एक नारी हूँ, कभी आम कभी खास हूँ
कभी बोझ अपनो का हूँ , कभी अमानत परायी हूँ
जवाब देंहटाएंकभी सिमट्ती धरती हूँ , कभी स्वच्छंद आकाश हूँ
सटीक भावाभिव्यक्ति ...!!!
कभी आइने सी साफ हूँ , कभी पाकीजा आग हूँ ,
जवाब देंहटाएंकभी मैं शीतल छाया सी ,कभी प्रतीक्षित सौगात हूँ
sandar lines hai
बहुत ही सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंक्या कहूं......शब्द नहीं है ....बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..
जवाब देंहटाएंwaah,,, ye mam k hi haantho se likhi ja skti hai. :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति बहन |
जवाब देंहटाएंनारी के विभिन्न रुपो का बहुत सुन्दर वर्णन
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर ..
bahut khub
जवाब देंहटाएंपहेली समझते हैं लोग पर बहुत सरल हूँ मैं!
जवाब देंहटाएंअभिब्यक्ति स्नेह की पावन सरिता बूझे अपना राग
जवाब देंहटाएंकौन हूँ 'मै , कहाँ हूँ,पूछे निज अनुभाग
जिसके प्रेम का पावन परिणय सागर रहा है मांग
वह पूछे ;;मै कौन हूँ ; रचा बिधाता स्वांग ........
pravah liye hue asar chodti hui ek saundhi si rachna :-)
जवाब देंहटाएंमेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं...बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंनई रचना
तभी तो हमेशा खामोश रहता है आईना !!
बहुत ही सुन्दर रचना ! मन की अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंnari tere roop anek ........
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