प्रियवर तुमसे मिली मै ऐसे
जैसे सागर में मिलकर नदिया
पाकर तुमको लगा है ऐसे
जैसे मिल गयी है, सारी दुनिया.....
ना थी मेरी कंचन काया
ना हिरनी से थे नैना
फिर भी तुमने हार के सब
ढूँढे मुझमें अपने चैना
ना दो पल देखूँ तो, लगता ऐसे
जैसे बीत गयी कितनी सदियां
पाकर तुमको.....
मेरे हर अधूरेपन को
पूर्णता तुमने दे डाली
इस बंजर मन में लाये
तुम सावन बन हरियाली
हर ख्वाब मेरे साकार हुये
महसूस करूँ हर पल खुशियां
पाकर तुमको........
one of the most beautiful reading.
जवाब देंहटाएंjust loved it, amazing.
I want to learn so much from you.
सुन्दर प्रस्तुति आदरेया |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
प्यार और समर्पण को जाहिर करती सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंअपने वेलेंटाइन के इससे खूबसूरत अल्फाज क्या हो सकते हैं ...
जवाब देंहटाएंमन में उतरती रचना ...
बढियाँ है !
जवाब देंहटाएंबड़े ही कोमल और सुन्दर भाव..
जवाब देंहटाएंbahut sunder...
जवाब देंहटाएंइस बंजर मन में लाये
जवाब देंहटाएंतुम सावन बन हरियाली
हर ख्वाब मेरे साकार हुये
महसूस करूँ हर पल खुशियां
पाकर तुमको...........बेहतरीन रचना देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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वाह बहुत खूब ...पूर्णता का सुखद अहसास ...मेरे हर अधूरेपन को पूर्णता तुमने दे डाली
जवाब देंहटाएंइस बंजर मन में लाये
तुम सावन बन हरियाली
Bhout acchi kavita
जवाब देंहटाएंखोकर तुमको लगा है ऐसा ...
जवाब देंहटाएंchoda तुमने saath जो मेरा
bikhri मेरी bagiya
ऐसा खंजर पाडा जो mujhpe
बंजर hui मेरी दुनिया
arsey pehley खबर मिली थी
है कोई pareshaan dukhiya
न तन न kaaya की सोचो
सोचा sirf उसकी khushiyan
कदम padey uske iss dharatal पे
sajney लगी थी दुनिया
दुख को मैने duur bhagaya
chaaney लगी थी khushiyan
कौन adhoora और कौन पूर्णा
ना सोचा ना poochaa thaa
nirdayta की hadd पार कर
kuchley mere armaa usney
saarey sapney aur घरौंदा
टोडा usney एक पल mein
ऐसा सिला मिला VAFA का
रूह DaFan हुई kabar mein