इंसा की फितरत तो देखो
जो मिलता है कम लगता है
इक ख्वाइश पूरी होती है
दूजी को रोने लगता है
कल तक जो मेरे साथी से
वो आज हमारे दुश्मन है
एक हाथ से हाथ मिलाते है
पर रक्खे दूजे में खंजर है
शब्द शहद से मधुर हैं लेकिन
भावों में स्वार्थ का राग छिपा है
इंसा की फितरत देख देख कर
गिरगिट भी शर्मसार हुआ है
सब कुछ पाने की हसरत में
हम हर पल कितना कुछ खोते हैं
लाख को करोड बनाने के लिये
मूलधन भी हम खो देते है
सच्चाई को वयां करती अच्छी रचना ,बधाई
जवाब देंहटाएंsach ke behad qareeb
जवाब देंहटाएंkhanjar walee line behad appealing hai
badhai
कल तक जो मेरे साथी से
जवाब देंहटाएंवो आज हमारे दुश्मन है
एक हाथ से हाथ मिलाते है
पर रक्खे दूजे में खंजर है
यही है दुनियां की रीत।
बहुत अच्छे भाव।
*** WORD VERIFICATION हटा दीजिए।
yahi to vidambana hai insaan ki
जवाब देंहटाएंnice expression of true of the world net