सच्ची मोहब्बत एक आरजू बन कर ही रह गयी ।
उनकी यादें हमारी जिन्दगी की वजह बन गयी ॥जिन आंखो में बसते थे तुम काजल बनकर ।
आज उन नैनों को अश्कों से ही चाहत हो गयी ॥
धडकता था दिल जिनके नाम लेने से ही कभी ।
आज धडकनों को दिल से ही बगावत हो गयी ॥
मेरे कदमों तले यूँ तो है जमाने भर की खुशी ।
मगर मेरे होठों को हंसी से ही नफरत हो गयी ॥
रात कहती है सजा ले कोई ख्वाब इन आँखों में ।
मगर आँखों को तो जागने की आदत हो गयी ॥
जख्म भर जाते है सभी इक दिन वक्त के मरहम से ।
मगर हमे जख्मों की हरियाली की ही हसरत हो गयी ॥
बहुत ही अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंधडकता था दिल जिनके नाम लेने से ही कभी ।
जवाब देंहटाएंआज धडकनों को दिल से ही बगावत हो गयी ॥
ऐसे भी क्या बात हुई , अच्छा शेर मुबारक हो
udgaar bechaini ko bayaan kar rahe hain..
जवाब देंहटाएंगहन वेदना के भाव की उत्तम अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंजख्म भर जाते है सभी इक दिन वक्त के मरहम से ।
मगर हमे जख्मों की हरियाली की ही हसरत हो गयी ॥
बहुत ही सरल-सहज ढंग से ह्रदय के गहनतम भावों की अभिव्यक्ति......
जवाब देंहटाएंआदरणीया पलाश जी ,
कविता तो यही है !
जख्म भर जाते है सभी इक दिन वक्त के मरहम से ।
जवाब देंहटाएंमगर हमे जख्मों की हरियाली की ही हसरत हो गयी ॥
वाह,दर्द की पराकाष्ठा खूबसूरत पंक्तियों के ज़रिये पढ़ने को मिली.
रात कहती है सजा ले कोई ख्वाब इन आँखों में ।
जवाब देंहटाएंमगर आँखों को तो जागने की आदत हो गयी ॥
ज़बरदस्त लिखा है।
सादर
कभी कभी तकलीफ याद रखने का मन करता है ....शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंbadhiya parichay ||
जवाब देंहटाएंbadhaai khuubsuurat rachna ke liye ||
जख्म भर जाते है सभी इक दिन वक्त के मरहम से ।
जवाब देंहटाएंमगर हमे जख्मों की हरियाली की ही हसरत हो गयी
बहुत खूब कहा है ।
अपर्णा जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
धडकता था दिल जिनके नाम लेने से ही कभी
आज धडकनों को दिल से ही बगावत हो गयी
मेरे कदमों तले यूं तो है जमाने भर की खुशी
मगर मेरे होठों को हंसी से ही नफरत हो गयी
रात कहती है सजा ले कोई ख्वाब इन आखों में
मगर आंखों को तो जागने की आदत हो गयी
इतनी पीड़ा ! रचना का एक एक शब्द मन में टीस पैदा कर रहा है …
शुभकामनाएं , शुभकामनाएं और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
रात कहती है सजा ले कोई ख्वाब इन आँखों में ।
जवाब देंहटाएंमगर आँखों को तो जागने की आदत हो गयी ॥
बहुत बढ़िया.
शानदार गजल। आभार।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंvah , achchhi kavita ke liye aap ka aabhar
जवाब देंहटाएंAye priyatam meri pida pr,tum lesh klant mt ho jana..Yeh pida hi wo amrit hai,jo mujhko jeevit rkhti hai..(Pranaam Di.)
जवाब देंहटाएंहाय, इश्क की ये तबाह्कारियां :)
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल ..बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंसजाये रखिये चाहत की ख़ुशी , कभी न कभी वक्त संभल जायेगा
जवाब देंहटाएंआसुओं का मोल होगा कभी न कभी बूँद मोती सा बनकर निखर आएगा
खुबसूरत उम्दा अशआर....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, ऐसा लिखते रहिये।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल , लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंजो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति सी छाई
जवाब देंहटाएंदुर्दिन में आंसू बनकर , वो आज बरसने आई
रात कहती है सजा ले कोई ख्वाब इन आँखों में ।
जवाब देंहटाएंमगर आँखों को तो जागने की आदत हो गयी ॥
खूबसूरत भाव ,सुंदर रचना
नींद को जीत लिया मोहब्ब्ब्बत का असर है
जवाब देंहटाएंदर्द को पी लिया मोहब्बत का असर है
जगा दिया सोते हुए दिलों को आज
भर दिया वफ़ा दिलों में , मोहब्बत का असर है
याद आ गया हर एक को कोइ फिर आज
जागे फिर से ;;;प्यार ;;;के अरमा , मोहब्बत का असर है
????????????????????............!!!!!!!!!
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