अरुण से मेरा रिश्ता किसी नाम का मोहताज नही था , मेरा मानना था कि प्यार दिल से किया और निभाया जाता है , इसके लिये यह जरूरी नही कि हम किसी बंधन में बंधे ।
ऐसा नही था कि हम दोनो शादी करना नही चाहते थे , मगर अगर हमारे मिलने से हमारे अपनों को तकलीफ मिलती है तो इससे अच्छा है कि हम एक दूसरे से दूर ही हो जाये । अरुण के पिता ने अपना फैसला सुना दिया था - अगर तुम्हे दीप्ती से शादी करनी है तो फिर तुमको इस घर से जाना होगा । अरुण उस दिन अपने पापा से लडाई करके मेरे घर आया था , मुझसे कहने लगा कि मै घर छोड कर आया हूँ । तब बहुत मुश्किल से मैने उसे समझा कर उसे घर भेजा और पिता जी की मर्जी से शादी कर लेने की कसम भी दी थी । मुझे विश्वास था कि हमारा प्यार जैसा आज है कल भी रहेगा और हमेशा रहेगा । बहुत कोशिश करने के बाद अरुण ने दिवा से शादी की थी , आज उसकी शादी को दो महीने हो चुके थे , हमारे प्यार मे मुझे कभी कोई अंतर महसूस नही होता था ।
मै आफिस में बैठी अपने और अरुण के साथ बीते दिनों की याद में खोई सी थी कि तभी मल्होत्रा जी की आवाज मेरे कानों मे पडी - देखते है दुबे जी , अपने अरुण की तो लाटरी लग गयी दोनो हाथों से लड्डू खा रहे है , फिर मेरी तरफ हल्का सा इशारा करते हुये बोले यही तो है अपने अरूण का एक्स प्यार । शादी कर ली मगर आज भी ............... आगे के शब्द मेरे कानों को सुनाई नही दिये या मेरी सुनने की क्षमता ने जवाब दे दिया था । क्या दुनिया में प्यार की यही परिभाषा बची थी ।
अच्छा ही हुआ जो राधा इस कलियुग में नही जन्मी वरना लोग आज उनकी पूजा नही करते सिर्फ शब्दों मे बाण ही चलाते । कोई भला कैसे समझाये कि प्यार कभी एक्स नही होता , प्यार तो बस प्यार होता है । जो सिर्फ निभाया जाता है , जो बंधनों का मोहताज नही होता ।
"अच्छा ही हुआ जो राधा इस कलियुग में नही जन्मी वरना लोग आज उनकी पूजा नही करते सिर्फ शब्दों मे बाण ही चलाते । कोई भला कैसे समझाये कि प्यार कभी एक्स नही होता , प्यार तो बस प्यार होता है । जो सिर्फ निभाया जाता है , जो बंधनों का मोहताज नही होता ।"
जवाब देंहटाएंसही संदेश दिया है आपने।
सादर
सच्चाई को दर्शाती एक सारगर्भित पोस्ट, बहुत बहुत बधाई....
जवाब देंहटाएंनए बदलते समाज ने प्यार को क्या क्या नाम न दे दिए..
जवाब देंहटाएंप्यार तो बस प्यार होता है..गुलज़ार साहब ने कहा है न
"सिर्फ एहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो.."
सच कहा प्यार का सच्चा स्वरूप सिर्फ़ सच्चे ह्रदय वाले ही जान सकते हैं।
जवाब देंहटाएंजब हर दिन सूर्य नयी ऊर्जा ले निकलता है तो पुरानी बातों में क्यों उलझा जाये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही महीन तरीके से प्यार की एक नयी परिभाषा गढ़ दी .......
जवाब देंहटाएंसुंदर.
दीप्ति का प्यार बे-मिसाल है और मल्होत्रा का चरित्र समाज की सोच का परिचायक।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कहानी।
समाज की सही सचाई को प्रस्तुत किया है आपने... आज कल प्यार का सवरूप ही बदल गया है...
जवाब देंहटाएंप्यार का अर्थ लोग अक्सर नहीं समझ पाते हैं !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ...
सच कहा प्यार किसी बंधन का मोहताज नहीं.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
aadrash sirf manne ke liye hote hai amal karne ke liye nahi. jis din log pyar ko samajh lenge us din ye duniya hi badal jayegi.
जवाब देंहटाएंसच्चा प्यार बेताल है, फैण्टम है, जिसकी बातें तो सब करते हैं, लेकिन जो आज तक किसी को नसीब नहीं हुआ...
जवाब देंहटाएंअच्छी और सच्ची कहानी
जवाब देंहटाएंसमाज की सचाई को प्रस्तुत किया है आपने... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसच्चे प्यार को समझने वाले कहाँ ?
'कबीरा यह घर प्रेम का,खाला का घर नाहिं
शीश उतारै कर धरै,तब पैठे घर मांहि'
प्यार शब्द बहुत सीमित दायरे में कैद हो चुका है ..
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
very very nice post.
जवाब देंहटाएंप्यार की सही परिभाषा दी है आपने किसी न किसी दिन सफ़लता तो मिलेगी ही आज नही तो कल। समय हमेशा एक सा नही होता।
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढि़या ...
जवाब देंहटाएंप्यार बस प्यार होता है... सचमुच...
जवाब देंहटाएंसशक्त लेखन....
सादर...
कुछ तो लोग कहेंगे ............
जवाब देंहटाएंप्यार महसूस करने की चीज़ है.
जवाब देंहटाएंसमाज की सही सचाई को yahi है....
जवाब देंहटाएंकोई भला कैसे समझाये कि प्यार कभी एक्स नही होता , प्यार तो बस प्यार होता है । जो सिर्फ निभाया जाता है , जो बंधनों का मोहताज नही होता ।
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने .... प्यार तो प्यार होता है, किसी बंधन का मोहताज नहीं होता !
आपके ब्लॉग पर आना लगा रहेगा ..
अच्छा लगा यहाँ आकर ....