मुझे नही मालूम की इसे प्यार कहा जाय , दीवानापन कहे या दिल की नादानी, मगर कभी कभी किसी को एक झलक देख कर ही हम उसे अपना दिल दे बैठते है , कभी कभी हम बिना कुछ जाने समझे ही लाखों सपने बुनने लगते हैं , और फिर जब उन सपनों के आसमां से हकीकत की जमीं पर आते हैं सब कुछ जानते हुये भी दिल कुछ समझना ही नही चाहता .........
अन्जाने में आज हमसे इक गुनाह हो गया ,
उनकी इजाजत के बिना उनसे प्यार हो गया
वो छुपाते रहे खुद को रेशमीं चिलमन में,
मगर मेरी नजरों को उनका दीदार हो गया
कल तक हसँते थे हीर मजनूं की दास्तां पे,
नाम अपना भी दीवानों में अब शुमार हो गया
गुजरते गुजरते मोहब्बत के साहिलों से दिल,
इश्क के दरिया में डूबने को बेकरार हो गया
ना नाम ही जाना , ना पता ही घर के उनका,
बस इस मोड से गुजरने का इन्तजार हो गया
उनकी नजरों ने नजर भर भी ना देखा हमको,
उन्हे भी प्यार है हमसे, ये हमे ऐतबार हो गया
इक हसीं सी हँसी ही सुनी, आज तलक उनकी,
हम समझने लगे मोहब्बत का इकरार हो गया
वो जो आये कुछ देर से किसी और के साथ,
गुल खिलने से पहले ही गुलशन उजाड हो गया
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंजाने क्यों मुझे बिहारी की पंक्तियाँ याद आई.
जवाब देंहटाएंकहत नटत रीझत खीझत मिळत खिलत लजियात
भरे भवन में ही करत है , नैनो सो ही बात
सुँदर भावपूर्ण ग़ज़ल और इस गुनाह के क्या कहने . माशाल्लाह .
वो छुपाते रहे खुद को रेशमीं चिलमन में,
जवाब देंहटाएंमगर मेरी नजरों को उनका दीदार हो गया|
बहुत खुबसूरत शेर दाद को मुहताज नहीं फिर भी दिल से निकला वाह वाह
पूरी कहानी ही बयां हो गयी।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंheart touching..
जवाब देंहटाएंखूबसूरती से लिखे एहसास ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत तर्ज़-ए-बयां !
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया ....
शुभकामनायें आपको !
beautiful
जवाब देंहटाएंवो जो आये कुछ देर से किसी और के साथ,
जवाब देंहटाएंगुल खिलने से पहले ही गुलशन उजाड हो गया
बहुत सही और अच्छा लिखा है आपने।
सादर
खुबसूरत एहसासों की सुन्दर ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है.
जवाब देंहटाएंवाह ... मतले ने ही बाँध लिया ... कमाल की गज़ल है ... हर शेर उम्दा ...
जवाब देंहटाएंगुल खिलने से पहले गुलशन उजाड़ हो गया ...
जवाब देंहटाएंबुरा हुआ फिर भी ग़ज़ल अच्छी है !
हम समझने लगे मोहब्बत का इकरार हो गया
जवाब देंहटाएंवो जो आये कुछ देर से किसी और के साथ,
गुल खिलने से पहले ही गुलशन उजाड हो गया
खुबसूरत एहसासों की सुन्दर ग़ज़ल....
दिल की बातें दिल ही जाने...
जवाब देंहटाएंबढि़या कविता।
ना नाम ही जाना , ना पता ही घर के उनका,
जवाब देंहटाएंबस इस मोड से गुजरने का इन्तजार हो गया
...बहुत खूब! सुंदर गज़ल...
मुक्कमल गज़ल. आभार.
जवाब देंहटाएंखुद से खुद को मिला कर देख ,
जवाब देंहटाएंहाथ हवाओ में फैला कर देख .
मिलेगा वही जिस की हसरत है तुझे ,
बस खुद में नजरे गड़ा कर देख .......
खुद से खुद को मिला कर देख ,
जवाब देंहटाएंहाथ हवाओ में फैला कर देख .
मिलेगा वही जिस की हसरत है तुझे ,
बस खुद में नजरे गड़ा कर देख .......
कल 14/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत खूब.... सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंaaj jane kaise ye gunaah ho gaya
जवाब देंहटाएंdil ki jabaan pe aai
aur na chah kar bhi
dard-e-dil bayaan ho gaya...
हम तो सपने देखने लगे थे इसे पढते-पढते…पर अंतिम पंक्तियों ने हकीकत से रूबरू करा दिया……। बहुत सुन्दर्…………
जवाब देंहटाएंbahut khub likha h , hirdya sparshi samvedana h
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