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गुरुवार, 24 नवंबर 2011

कभी कभी.....


कभी कभी भीड भरे मंजर में दिल तनहा रह जाता ,
कभी कभी चाह कर भी मन कुछ कह नही पाता ॥

कभी कभी दूर, बहुत दूर जाने को मन व्याकुल हो जाता,
कभी कभी खुद को भूला देने को, दिल बेकरार हो जाता ॥

कभी कभी बिन बात ही बेवजह ,आसूँ छलक जाता ,
कभी कभी खुद में सिमट के दिल रोने लग जाता ॥

कभी कभी दुनिया मे हर शख्स पराया सा हो जाता,
कभी कभी अपना वजूद भी बेगाना लगने लग जाता ॥

कभी कभी दिल कितना कुछ, चुपके से सह जाता
कभी कभी इक लफ्ज, विषबुझे तीर सा चुभ जाता ॥

कभी कभी लाख कोशिशों पर ,कुछ याद नही आता,
कभी कभी कोई लम्हा, उम्र भर भी भूल नही पाता ॥

कभी कभी इम्तेहां-ए जिन्दगी, खत्म नही होता ,
कभी कभी कोई खुद ही, इक इम्तेहां बन जाता ॥

कभी कभी सब पा कर भी, हाथ खाली रह जाता ,
कभी कभी सब लुटाने पर भी, दामन भर जाता ॥

कभी कभी सावन, निष्ठुर बन आग लगा जाता

कभी कभी तपता रेगिस्तां भी, ना बैरी बन पाता

कभी कभी ख्वाब, इक ख्वाब बन कर रह जाता,

कभी कभी तकदीर से, बहुत ज्यादा मिल जाता ॥

कभी कभी...........................

28 टिप्‍पणियां:

  1. मन के तो लाखों नाटक हैं, सुन्दर कविता।

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  2. यह कभी कभी ज़िंदगी में कभी कभी आते हैं इनकी भूलने की कोशिश करनी चाहिए

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  3. कभी कभी दुनिया मे हर शख्स पराया सा हो जाता,
    कभी कभी अपना वजूद भी बेगाना लगने लग जाता ॥

    जीवन में यह सब न हो तो क्या हो ......? इन सबके बिना भी तो जीवन नीरस हो जाएगा ..यह सब प्रकृति प्रदत हैं ..!

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  4. कभी कभी सावन, निष्ठुर बन आग लगा जाता

    कभी कभी तपता रेगिस्तां भी, ना बैरी बन पाता

    लाजवाब लिखा है आपने।

    सादर

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  5. कल 26/11/2011को आपकी किसी पोस्टकी हलचल नयी पुरानी हलचल पर हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. कभी कभी तपता रेगिस्तां भी, ना बैरी बन पाता

    कभी कभी ख्वाब, इक ख्वाब बन कर रह जाता.... bhaut acchi di.... kabhi-kabhi bhaut kuch hota hai.... par ek baat jo hamesa hoti hai... vo aap hamesa hi kuch naya aur alag khubsurat likhti hai....

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  7. ये तो मन के भाव है और मन तो चंचल होता है. इसपर किसी का वश नहीं चलता. खूबसूरत रचना.

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  8. बहुत गहरा सोच उभर कर आया है इस रचना में |
    बहुत खूब लिखा है |
    आशा

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  9. कभी कभी सब पा कर भी, हाथ खाली रह जाता ,
    कभी कभी सब लुटाने पर भी, दामन भर जाता ॥

    बहुत उम्दा एवं लाजबाब प्रस्तुति !
    बहुत अच्छा लगा पढ़कर ..!

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  10. apki is rachana ka kya kahana..
    bahut hi lajwab hai...
    bahut hi behtarin prastuti hai...

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  11. कभी कभी सब पा कर भी, हाथ खाली रह जाता ,
    कभी कभी सब लुटाने पर भी, दामन भर जाता ॥


    waah bahut khub.....saarthak lekhni...

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  12. शब्दों में समय बांध लिया . कभी कभी तो ऐसा होता है. उम्दा .

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  14. कभी कभी सब लुटाने पर भी, दामन भर जाता ॥

    बहुत खूब.

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  15. कभी कभी कुछ नकुछ होना जरुरी भी है क्यों कि हम
    भावनाओं से भरे पोरे है ..और ये भावनाये ही सम्पुर्ण
    जीवन ..बहुत बहुत खूबसूरत रचना

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  16. बहुत सुन्दर भाव!खूबसूरत रचना..

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  17. आपके ऊपर कहें किसकी दुआ है..?
    खिल उठा वो शब्द आपने जिसको छुआ है,
    जिंदगी में आपने, जब भी, जहाँ पर,
    जो लिया संकल्प, पूरा ही हुआ है,

    बात मत करना यहाँ संवेदना की,
    आदमी की, भावभीनी भावना की,
    लोग कब तारीफ करते हैं किसी की,
    रात-दिन चलती हवा आलोचना की,

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  18. अर्पणा जी,...
    बेहतरीन भावपूर्ण खुबशुरत रचना...
    उम्दा पोस्ट ,...
    फालोवर बन रहा हूँ ,...
    मेरे पोस्ट'शब्द'में आपका इंतजार है,..

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  19. अर्पणा जी,...
    मेरे ब्लॉग में आने के लिए आभार...
    मेरी नई पोस्ट "प्रतिस्पर्धा"में इंतजार है,..

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  20. कभी कभी सब पा कर भी, हाथ खाली रह जाता ,
    कभी कभी सब लुटाने पर भी, दामन भर जाता ॥
    ...बहुत बहुत सुन्दर रचना...भा गयी दिल को.

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  21. सुंदर प्रस्तुति,..
    मेरे नए पोस्ट पर आइये,...

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