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बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

मुलाकात के बाद


इक मुद्दत के बाद
जब उनसे मुलाकात हुयी

जुबाँ पे एक भी
लफ्ज ना पाया हमने.....

खुशी से आँखे नम
हुयी कुछ इस तरह

जैसे तपती रेत पर
ओस को पाया हमने......

माँग रही थी खुदा से
खुशी चंद लम्हात की

दीदार से तमाम उम्र का
बेशुमार सुकू पाया हमने....

ख्वाब जो हर रात
संजोती थी पलकों तले

हकीकत की जमीं पर
नूर सा पाया हमने.....

खुदा ठुकराता नही
सच्चे दिलों की दुआ

इस बात पर अब यकीं
खुद को दिलाया हमने....

21 टिप्‍पणियां:

  1. खुशियों का मतलब उनका दीदार ही था ...
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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  2. अच्छा लिखा है अपर्णा जी... बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर , मोहक अभिव्यक्ति !
    [देव]

    जवाब देंहटाएं
  4. कल 03/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

    जवाब देंहटाएं
  6. खुदा ठुकराता नही
    सच्चे दिलों की दुआ

    इस बात पर अब यकीं
    खुद को दिलाया हमने....

    ....बहुत खूब! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन भावभिव्यक्ति ...http://mhare-anubhav.blogspot.com/ समय मिले कभी तो आयेगा मेरी इस पोस्ट पर आपका स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  8. //जैसे तपती रेत पर
    ओस को पाया हमने......

    //खुदा ठुकराता नही
    सच्चे दिलों की दुआ
    //इस बात पर अब यकीं
    खुद को दिलाया हमने....

    waah.. bahut khoob.. :)

    जवाब देंहटाएं
  9. अतिसुन्दर रचना है मन को छू गई |

    जवाब देंहटाएं
  10. भावपूर्ण...

    इस बात पर अब यकीं
    खुद को दिलाया हमने....

    जवाब देंहटाएं
  11. हर मुलाकात में तवारीख लिखी होती है

    दर्दे दिल की हर बात सहज होती है

    हमसफ़र कोइ जब बिछुड़ जाता है

    उसकी हर याद बहुत प्यारी चीज होती है

    जवाब देंहटाएं

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