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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

चेहरा


राधा जिसकी तारीफ करते लोग थकते नही, चाहे वो उसके रिश्तेदार हो, आस- पडोस के लोग हों या उसके मित्र । सभी कहते जिस घर जायगी, वो बहुत ही भाग्यवान होगा । मगर फिर भी ३२ सावन पार करने के बाद भी , अभी तक उसके पिता उसके लिये वर की खोज में ही लगे थे । स्वभाव से सुशील, काम काज में पारंगत, और डाक्टर होने के बाद भी उसकी एक कमी उसकी हर अच्छाई पर भारी पड जाती थी, उसका सुंदर ना होना । आज भी कुछ ऐसा ही हुआ, एक बार फिर ना चाहते हुये भी उसको स्वयं को अपमानित होते देखना पडा था । मन तो उसका बहुत कर रहा था कि वह भी कुछ ना कुछ उत्तर दे ही दे, मगर वह उसके संसकारों में नही था, इसलिये चुपचाप ही अपमान का घूंट पी गयी । मगर तभी उसने एक निर्णय लिया कि अब वह अकेले ही जिन्दगी व्यतीत करेगीं । और अपने जीवन को उन लोगों की सेवा में लगायेगी जिनकों उसके गुणों की कद्र है, रूप सौन्दर्य की नही ।
        आज राधा को गाँव का सरकारी अस्पताल ज्वाइन किये एक साल हो चुका था, वो खुश थी, गाँव वालों की नजर में वह किसी देवी से कम नही थी । अस्पताल में वह इलाज ही कर रही थी कि तभी रमई का लडका दौडता हुआ आया और बोला- दीदी जी गाँव के पार वाली रेलवे लाइन पर ट्रेन में आग लग गयी है । राधा तुरन्त अपने साथ और डाक्टर्र्स के साथ रेलवे लाइन तक गयी । काफी बडा हादसा हुआ था, ट्रेन के चार डिब्बों मे आग लगी थी । लेकिन एसी डिब्बों में आग लगने के कारण बहुत ज्यादा लोगों को क्षति नही हुयी थी । गम्भीर लोगों को तुरन्त अस्पताल ले जाया गया । राधा तन मन से घायलों के इलाज में लगी थी । एक दो लोग बुरी तरह जल गये थे , उन्हे पहचान पाना भी मुश्किल था । मगर राधा की नजर उस चेहरे को पहचान पाने में कैसे गलती कर सकती थी । फिर भी अतीत की कडवाहट को भुला कर उसने अपने डाक्टर होने के दायित्व को बखूबी निभाया । तीन दिन के बाद जब सुधाकर होश में आया तो राधा को सामने देखकर उसको यह समझते देर नही लगी कि उसको जीवन दान देने वाली वो ही लडकी है, जिसे एक दिन उसने ठुकराया था । इससे पहले की सुधाकर कुछ कहता, राधा ने कहा- मिस्टर सुधाकर अब आप काफी ठीक है , पाँच - छः दिन में आप घर जा सकते है , हाँ आपका चेहरा दुर्घटना में काफी बुरी तरह जल गया था, शायद इसके दाग जाने में काफी समय लग जाय । अब चलती हूँ और भी मरीजों को देखना है ।राधा को जाता हुआ देखकर , चाह कर भी वह बढ्कर उसका हाथ थामने की हिम्मत ना कर सका । उसे समझ आ गया था कि सच्ची दौलत क्या होती है, अनजाने में उसने क्या खो दिया है , मगर राधा जो कल तक उसकी नजर में एक सामान्य सी भी लडकी ना थी, आज एक देवी से कम ना थी। और वह स्वंय खुद की नजर में एक अच्छा इंसान तक ना था ..........................


हर किसी को लुभाता है जहाँ में नूर सा चेहरा,
अक्सर लोगों को उलझाता है ये नूर सा चेहरा ।
सूरत पर मिटने वालों की गिनती ही क्या कीजिये,
 
सीरत पे मर सके ,मुश्किल से ऐसा मिलता चेहरा ॥

14 टिप्‍पणियां:

  1. अक्सर लोग भाहरी खूबसूरती को ही देखते हैं और अन्दर की खूबसूरती को नज़रंदाज़ कर देते हैं, जो कि असल है. प्रेरणात्मक कथा.

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  2. अक्सर लोग बाहरी खूबसूरती को ही देखते हैं और अन्दर की खूबसूरती को नज़रंदाज़ कर देते हैं, जो कि असल है.

    प्रेरणात्मक कथा!

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  3. बहुत सुन्दर सार्थक रचना। धन्यवाद।

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  4. प्रेरणा स्रोत रचना
    आज कल ऐसा ही होता है लोग खूबसूरती के पीछे भाग रहे हैं | देश में ऐसे बहुत से राधा और सुधाकर हैं | मालूम नहीं इनको अक्ल कब आएगी |
    धन्यवाद |

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  5. अतिम पंक्तियाँ बहुत ही प्रभावशाली लगी सार्थक रचना ....http://mhare-anubhav.blogspot.com/ समय मिले कभी तो आयेगा मेरी इस पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  6. सच है -दिल को देखो चेहरा न देखो.....

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  7. सही और बड़ी सुन्दर सी कहानी ! बधाई

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  8. तन की सुन्दरता से मन की सुन्दरता अधिक महत्वपूर्ण होती है ..आपकी कहानी यही सिखलाती है ..
    kalamdaan.blogspot.in

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  9. सब समय का फेर है.... सीख देती हुई सुंदर प्रस्तुति.

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और लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक

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