उनकी शोख मस्त नजर में ना जाने क्या बात थी,
देखा जबसे, उस पल से दिल मुझसे बेगाना हो गया ॥
वो रूक रूक के चले जब, हौले से छनका के पायल,
घायल दिल वही उनके इन्तजार में दीवाना हो गया ॥
इक नाम ही बस जाना है, जिस पल से हमने उनका,
सारी दुनिया से क्या, खुद से ही मै अन्जाना हो गया ॥
भीगी भीगी सी जुल्फे बिखेरे, वो जो निकले सरे बाजार,
कहा कुछ ना उनसे पर, दुश्मन ये जमाना हो गया ॥
उनको नही खबर, मेरे बीमार -ए -दिल के हाल की,
और हर एक जुबां पे आम, मेरा अफसाना हो गया ॥
उनकी शोख मस्त नजर में ना जाने क्या बात थी,
जवाब देंहटाएंदेखा जबसे, उस पल से दिल मुझसे बेगाना हो गया ॥
बढिया अभिव्यक्ति !!
कल्पना लोक से उतरी सुँदर नायिका का सजीव चित्रण . मुग्धकारी
जवाब देंहटाएंअफसाना आम है..सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंभई वाह...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!
जवाब देंहटाएंसादर
देखा जबसे, .......... बेगाना हो गया, बहुत ही प्यार से भरी प्यारी है
जवाब देंहटाएंइक नाम ही बस जाना है, जिस पल से हमने उनका,
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया से क्या, खुद से ही मै अन्जाना हो गया ॥
बेहतरीन प्रस्तुति...
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
देखा जबसे.........बेगाना हो गया, शानदार लिखा है
जवाब देंहटाएंउनकी हर शै दीवाना कर देती है ... बहुत लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंउनको नही खबर, मेरे बीमार -ए -दिल के हाल की,
जवाब देंहटाएंऔर हर एक जुबां पे आम, मेरा अफसाना हो गया ...
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है , जाने न जाने गुल ही ना जाने , बाग़ तो सारा जाने है !
खूबसूरत अभिव्यक्ति !
बहुत ही सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब:-)
bahur sunder.....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !