शमा कहती नही, खामोश रहकर, मिटती रहती है,
पिघलती मोम ही, उसके, जख्मों की कहानी है ॥भले मिटना ही है उसके, हाथों की लकीरों में,
मगर सच ये भी कि वो ही, उजालों की निशानी है॥
मोहबब्त में, खुशी की ख्वाइशें, हर कोई रखता है,
मगर ये इश्क का दरिया, तो दर्दों की सुनामी है॥ नही होती मोहब्ब्त सिर्फ, वादों या इरादों से,
बजार- ए - इश्क में कीमत, तो इसकी भी चुकानी है॥नही होता कोई अब तो दीवाना, मजनूं के जैसा,
मोहब्बत अब नही दिल की, दिमागों की जुबानी है ॥जमाने में सभी यूँ तो, है दावा प्रेम, का करते,
कई सरकारी वादों से, किसी दिन टूट जानी है ॥वही बचता है जो, बेखौफ हो, डुबकी लगाता है,
जो बच बच के, उतरता है, खत्म उसकी जवानी है॥
आग के दरिया में डूब के जाने वाले कम ही मिलते है
जवाब देंहटाएंअब तो शमा जलती रहे लेकिन परवाने ही बेदम निकलते है .
कित्ता तो मस्त लिखती है तू ग़ज़ल .. आफरीन आफरीन
सच है, निर्भय ही आगे बढ़ पाता है।
जवाब देंहटाएंवही बचता है जो, बेखौफ हो, डुबकी लगाता है,
जवाब देंहटाएंजो बच बच के, उतरता है, खत्म उसकी जवानी है॥
वाह !!!!! बहुत सुंदर रचना,क्या बात है,
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
नही होता कोई अब तो दीवाना, मजनूं के जैसा,
जवाब देंहटाएंमोहब्बत अब नही दिल की, दिमागों की जुबानी है ...
सच है आज मुहब्बत दिल की नहीं दिमाग से होती है ... कडुवा सच है इस शेर में ...
दिल से निकली हुई सुन्दर गजल.
जवाब देंहटाएं.वाह...बहुत सार्थक ग़ज़ल का
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द बाँध लेता है ...बधाई स्वीकारें
aakhiri waala to ekdum mast hai... :)
जवाब देंहटाएंशमा की जो अभिवयक्ती की है............वो तो गहराई मैं उतरकर ही की जा सकती है.. बहुत ही मार्मिक रचना है........
जवाब देंहटाएंजो पत्थर को भी छूकर जीवन्त कर दे
शमा कहती नही, खामोश रहकर, मिटती रहती है,
हटाएंपिघलती मोम ही, उसके, जख्मों की कहानी है ॥
kya baat hai...
Bahut aaccheeeeeeeeee .......... kahan the abhi tak
जवाब देंहटाएंGaa kar Maja aa gaya :-)
Bahut aaccheeeeeeeeee .......... kahan the abhi tak
जवाब देंहटाएंGaa kar Maja aa gaya :-)