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बुधवार, 28 मार्च 2012

दिल से निकली कुछ बाते, जो पन्ने में लिखीं तो गजल बन गयी


शमा कहती नही, खामोश रहकर, मिटती रहती है,
पिघलती मोम ही, उसके, जख्मों की कहानी है ॥

भले मिटना ही है उसके, हाथों की लकीरों में,
मगर सच ये भी कि वो ही, उजालों की निशानी है॥

मोहबब्त में, खुशी की ख्वाइशें, हर कोई रखता है,
मगर ये इश्क का दरिया, तो दर्दों की सुनामी है॥

नही होती मोहब्ब्त सिर्फ, वादों या इरादों से,
बजार- ए - इश्क में कीमत, तो इसकी भी चुकानी है॥

नही होता कोई अब तो दीवाना, मजनूं के जैसा,
मोहब्बत अब नही दिल की, दिमागों की जुबानी है ॥

जमाने में सभी यूँ तो, है दावा प्रेम, का करते,
कई सरकारी वादों से, किसी दिन टूट जानी है ॥

वही बचता है जो, बेखौफ हो, डुबकी लगाता है,
जो बच बच के, उतरता है, खत्म उसकी जवानी है॥

11 टिप्‍पणियां:

  1. आग के दरिया में डूब के जाने वाले कम ही मिलते है
    अब तो शमा जलती रहे लेकिन परवाने ही बेदम निकलते है .
    कित्ता तो मस्त लिखती है तू ग़ज़ल .. आफरीन आफरीन

    जवाब देंहटाएं
  2. वही बचता है जो, बेखौफ हो, डुबकी लगाता है,
    जो बच बच के, उतरता है, खत्म उसकी जवानी है॥

    वाह !!!!! बहुत सुंदर रचना,क्या बात है,

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

    जवाब देंहटाएं
  3. नही होता कोई अब तो दीवाना, मजनूं के जैसा,
    मोहब्बत अब नही दिल की, दिमागों की जुबानी है ...

    सच है आज मुहब्बत दिल की नहीं दिमाग से होती है ... कडुवा सच है इस शेर में ...

    जवाब देंहटाएं
  4. .वाह...बहुत सार्थक ग़ज़ल का
    शब्द शब्द बाँध लेता है ...बधाई स्वीकारें

    जवाब देंहटाएं
  5. शमा की जो अभिवयक्ती की है............वो तो गहराई मैं उतरकर ही की जा सकती है.. बहुत ही मार्मिक रचना है........
    जो पत्थर को भी छूकर जीवन्त कर दे

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    उत्तर
    1. शमा कहती नही, खामोश रहकर, मिटती रहती है,
      पिघलती मोम ही, उसके, जख्मों की कहानी है ॥
      kya baat hai...

      हटाएं
  6. Bahut aaccheeeeeeeeee .......... kahan the abhi tak

    Gaa kar Maja aa gaya :-)

    जवाब देंहटाएं
  7. Bahut aaccheeeeeeeeee .......... kahan the abhi tak

    Gaa kar Maja aa gaya :-)

    जवाब देंहटाएं

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