आती साँसे दिल में तेरी यादें ले कर आती हैं
जाती साँसे आँखों से आसूं बनकर बह जातीं हैं॥
हर पल बीते लम्हों की दास्तां ले कर आता है
हर घडी मेरी किस्मत पर हँस कर चली जाती है॥
रात तुम्हारे ख्वाबों को सजा करके ले आती है
सुबह की पहली किरण फिर दूर तुम्हे ले जाती है॥
मुश्किल से भी फुरसत का इक पल नही मिल पाता है
तेरी राह तकते तकते ही सुबह से शाम हो जाती है॥
इंतज़ार का खूबसूरत वर्णन
जवाब देंहटाएंअपर्णा ... तुम्हारी कविता पढ़कर एक ही बात कहूंगा
जवाब देंहटाएंभूलने की कोसिस में तुम और याद आती गई
हवा तो कम हुई , मगर बारिस बढती गई //
बहुत सुन्दरता से प्रकट किये गए भाव |||
जवाब देंहटाएंआभार ||
बहुत सुंदर कविता और मुझे तो बहुत ही पसंद आई शुभकामनायें अपर्णा दी
जवाब देंहटाएंBahut Khoob
जवाब देंहटाएंThanks
Arun
arunsblog.in
दूरियाँ यादों को उद्वेलित कर देती हैं।
जवाब देंहटाएंइंतज़ार और इंतज़ार
जवाब देंहटाएंहर घडी मेरी किस्मत पर हँस कर चली जाती है॥
जवाब देंहटाएंरात तुम्हारे ख्वाबों को सजा करके ले आती है
बहुत सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट
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MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
Achchi kavita...
जवाब देंहटाएंफिर भी राह ताकना नहीं छोड़ा जाता ... इसी को तो प्यार कहते हैं ...
जवाब देंहटाएंप्रेम में विछोह , अभिव्यक्ति का एक सशक्त कारक रहा है . भक्तिकाल की गोपियों से लेकर आधुनिक काल की कविताओ में विछोह स्थाई भाव की तरह मिल जाता है, इस कविता में प्रियतम से दूर नायिका के मनोभाव को सूक्ष्मता से दर्शाया गया है ,मनोहारी पंक्तियाँ आह्लादित करती है . सुँदर .
जवाब देंहटाएंबस यही यादें और इंतज़ार .... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमुश्किल से भी फुरसत का इक पल नही मिल पाता है
जवाब देंहटाएंतेरी राह तकते तकते ही सुबह से शाम हो जाती है॥
very nice....
बस यादें यादें ,यादें ही तो रह जाती है ताउम्र रुलाने और हँसाने के लिए इंसान के जीवन में ये न होतो बोलो फिर क्या यह ज़िंदगी है।
जवाब देंहटाएंविरह का सुन्दर वर्णन.........
जवाब देंहटाएंमुश्किल से भी फुरसत का इक पल नही मिल पाता है
जवाब देंहटाएंतेरी राह तकते तकते ही सुबह से शाम हो जाती है...वाकई बहुत ही सुन्दर
रात तुम्हारे ख्वाबों को सजा करके ले आती है
जवाब देंहटाएंसुबह की पहली किरण फिर दूर तुम्हे ले जाती है॥
वाह! वह !!
सुन्दर रचना !!
अपर्णा जी,
जवाब देंहटाएंनमस्ते!
खूबसूरत इंतज़ार!
आशीष
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द नेम इज़ शंख, ढ़पोरशंख !!!