क्या ये काफी नही कि
तेरा मुझसे कुछ और नही दिल का नाता है
क्या ये काफी नही कि
तुझ पर ही शुरू और खत्म होती है तलाश मेरी
क्या ये काफी नही कि
मेरी खामोशी को तुम शब्दों में बदल लेते हो
क्या ये काफी नही कि
मीलों की दूरी भी, हमे तुमसे दूर नही कर पाती
क्या ये काफी नही तेरे
साथ इक साये सा हमेशा मेरा अहसास रहता है
क्या ये काफी नही कि
तेरी आंखों मे चमक लाती है सफलता मेरी
क्या ये काफी नही कि
मेरे हर उलझे सवाल का जवाब तुम ही हो
क्या ये काफी नही कि
तुमपर ही आकर ठहरती है हर आरजू मेरी
क्या ये काफी नही कि
अपनेपन की परिभाषा तुमसे ही तो बनती है
क्या ये काफी नही कि
तेरी सांसों की आहटों मे बसी है धडकन मेरी
क्या ये काफी नही कि
तेरी पलकों के आशियाने में बसते है सपने मेरे
क्या ये काफी नही कि
दर्द की घडियों में इक चाह्त होती है सिर्फ तेरी
क्या ढाई लफ्ज जरूरी
है हमारी मोहब्बत की इबारत लिखने के लिये
क्या इक रिश्ते का
बन्धन ही कह सकेगा कि मै थी हूँ और रहूंगीं तेरी
क्या ये काफी नही कि तेरी पलकों के आशियाने में बसते है सपने मेरे
जवाब देंहटाएंकाफी है
सुन्दर एहसास
अरे वाह .....बधाई और शुभकामनायें .....बहुत सुंदर भाव .....
जवाब देंहटाएंक्या ये काफी नही कि तुझ पर ही शुरू और खत्म होती है तलाश मेरी
जवाब देंहटाएंक्या ये काफी नही कि मेरी खामोशी को तुम शब्दों में बदल लेते हो
सवालों से ही फकत कहाँ मिल पता है सुकून भला
बस ये काफी नही कि लफ़्ज़ों में ही समा जाएँ जज्बात मेरे!!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...
क्या इक रिश्ते का बन्धन ही कह सकेगा कि मै थी हूँ और रहूंगीं तेरी...gazab.. ek pankti aur sab kuch kah diya di....
जवाब देंहटाएंक्या ये काफी नही कि तेरी पलकों के आशियाने में बसते है सपने मेरे
जवाब देंहटाएंक्या ढाई लफ्ज जरूरी है हमारी मोहब्बत की इबारत लिखने के लिये
जवाब देंहटाएंक्या इक रिश्ते का बन्धन ही कह सकेगा कि मै थी हूँ और रहूंगीं तेरी
वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
खूबसूरती से समेटे जज़्बात .... रिश्तों का बंधन खुद के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए स्वीकारना पड़ता है
जवाब देंहटाएंआभार ।
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति की गहनता आपकी हर पंक्ति से बढ़ती गयी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव लिए रचना ... बधाई
जवाब देंहटाएंकोमल मन से लिखी कोमल एहसासों की कविता.. बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंये पंक्तियाँ समर्पण ,, अर्पण का दर्पण है . भावनाओ के प्रकटन के लिए किसी रिश्ते का सहारा लेना जरुरी तो नहीं . पढ़कर मन अह्वलादित हुआ .
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