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मंगलवार, 10 जुलाई 2012

जब से...............



हर चीज  खूबसूरत नजर आने लगी, जब से वो बसने लगे  मेरी निगाहों में,
मोहब्बत की रूह से रू-ब-रू हुये तब, जब कही हर बात उन्होने इशारों में।

देखा सुना पढा लिखा भी
यूं तो बहुत इश्क के बारे में....
मगर दिखा ना था अब तक
जो दिखता है अब हर नजारे में
हर बात भली सी लगने लगी जबसे, बसने लगे वो, मौसम के नजारों में,
मोहब्बत की रूह से रू-ब-रू हुये तब, जब कही हर बात उन्होने इशारों में।

महसूस हुआ है अब हमको
कितने तन्हा थे हम, खुद में
क्यो हुये ना थे खुश अब तक
जबकि खडे थे खुशियों के ढेरों में
क्या होता है साथ ये जाना, जब दो कदम साथ चले, सागर के किनारों में,
मोहब्बत की रूह से रू-ब-रू हुये तब, जब कही हर बात उन्होने इशारों में।

ना जाने कहाँ कैसे और कब
खो गया हर डर मेरे मन से
कुछ संवर गये, कुछ निखर गये
कहते है अब तो ये सब हमसे
दुनिया को सिमटते देखा , जब पाया खुद को, उनकी बाहों के सहारों में,
मोहब्बत की रूह से रू-ब-रू हुये तब, जब कही हर बात उन्होने इशारों में।

22 टिप्‍पणियां:

  1. न जाने कितना संवाद हुआ जाता है, ईशारों में..

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  2. प्रेम का संबल हर तरह के डर कों दिल से बाहर कर देता है ...
    प्रेम की भावनाओं में पगी ... सुन्दर रचना ..

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  3. प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  4. अहसासों की सुंदर अभिव्यक्ति ....

    जवाब देंहटाएं

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