जो सोचने को है कुछ अब भी
तो ना चल इश्क की राहों में
जो दुनिया का खौफ है अब भी
तो ना चल इश्क की राहों में
जो परेशां होना, देता सुकू नही
तो ना चल इश्क की राहों में
जो चाहत है सिर्फ खुशियों की
तो ना चल इश्क की राहों में
जो जज्बातों में है दुनियादारी
तो ना चल इश्क की राहों में
जो नैनों में नीर का सागर नही
तो ना चल इश्क की राहों में
जो नही यकी तुझे खुद पर ही
तो ना चल इश्क की राहों में
जो किस्मत आजमाने शौक नही
तो ना चल इश्क की राहों में
जो खुद को खोने का हौसला नही
तो ना चल इश्क की राहों में
यदि खोने का हो डर तो न चल इश्क की राहों पर..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत सृजन, बधाई.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें , अपना स्नेह प्रदान करें.
बहन अगर लोग इतना सोच कर इश्क करते तो इतिहास के पन्ने इश्क की कहानियों से न भरे होते |बहुत ही सुंदर रचना है , बधाई |
जवाब देंहटाएंजितना भी मन करो ... इंसान फिर भी इस रास्ते पे चलता है ...
जवाब देंहटाएंआसान नहीं है इश्क की राह पर फिर भी चलता है ...
वाह बेहतरीन रचना सत्य अगर ये सब चीज़ों से बचना है तो इश्क की राह में चलन छोडना होगा.
जवाब देंहटाएंइश्क करने से पहले इतना कहाँ सोचा जाता है...बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंजो किस्मत आजमाने शौक नही
जवाब देंहटाएंतो ना चल इश्क की राहों में
जो खुद को खोने का हौसला नही
तो ना चल इश्क की राहों में.
एक गंभीर प्रश्न किया गया है इश्क की पेचीदगियों को सझते हुए. सुंदर प्रस्तुति.
बधाई अपर्णा जी.
बहुत सुन्दर ...सही कहा ...एक आग का दरिया है और डूब के जाना है
जवाब देंहटाएंइतना सोच कर कहाँ कोई इश्क़ करता है .... खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना है , बधाई |
जवाब देंहटाएंवाह||
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बढ़िया रचना..
:-)
यहाँ जो भी आया गया हाथ मल के, सुंदर रचना,वाह !!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंइश्क की राहे कब होती है आसान ।
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