बीत गयी है आधी रैना
और बची है आधी रात
तोड के अब तो खामोशी
कह दो साथी मन की बात.............
तेरी चंचल आँखों की तिरछी
चितवन में बसे हैं राज अभी
तेरी पायल की छमछम में
बसते जीवन के राग सभी
अब तो परिभाषित कर दो
जो दिल में हैं तेरे जज्बात
बीत गयी है...................
तेरी झील सी गहरी निगाहों में
अक्सर पाता, बिम्ब मैं अपना
तेरे नीरज से कोमल अधरों पे
अक्सर पाता, बिम्ब मैं अपना
तेरे नीरज से कोमल अधरों पे
बसता हूँ मैं ही, ये देखूं सपना
मरुभूमि से हदय पे, अब तो
आकर कर दो प्रीत की बरसात
बीत गयी है...............
मरुभूमि से हदय पे, अब तो
आकर कर दो प्रीत की बरसात
बीत गयी है...............
बहुत सुंदर ...प्रेम के कोमल भावों से गूँथी सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, कहते हैं जो कह जाने दो।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंमरुभूमि से ह्रदय पे ........बहुत ही सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 04-10 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....बड़ापन कोठियों में , बड़प्पन सड़कों पर । .
मधुर-मधुर बोल!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं