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गुरुवार, 27 सितंबर 2012

कह दो साथी मन की बात............


बीत गयी है आधी रैना
और बची है आधी रात
तोड के अब तो खामोशी
कह दो साथी मन की बात.............

 तेरी चंचल आँखों की तिरछी
चितवन में बसे हैं राज अभी
तेरी पायल की छमछम में
बसते जीवन के राग सभी
अब तो परिभाषित कर दो
जो दिल में हैं तेरे जज्बात

बीत गयी है...................

तेरी झील सी गहरी निगाहों में
अक्सर पाता, बिम्ब मैं अपना
तेरे नीरज से कोमल अधरों पे
बसता हूँ मैं ही, ये देखूं सपना
मरुभूमि से हदय पे, अब तो 
आकर कर दो प्रीत की बरसात
बीत गयी है...............

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर ...प्रेम के कोमल भावों से गूँथी सुंदर रचना

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  2. बहुत ही सुन्दर, कहते हैं जो कह जाने दो।

    जवाब देंहटाएं
  3. मरुभूमि से ह्रदय पे ........बहुत ही सुंदर रचना |

    जवाब देंहटाएं

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