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शनिवार, 15 अगस्त 2015

आजादी


रात के बारह बजने का संदेश घंटाघर पर लगी घडी के घंटे की आवाज ने दे दिया। आज शहर की सडकों पर पुलिस की गस्त बढा दे गयी थी। कल पन्द्रह अगस्त थी। अभी चार दिन पहले ही शहर में दो जगह बम ब्लास्ट हुये थे। सौभाग्य से दो चार जाने ही गयीं थी। प्रशासन को पूरी आशंका थी कि आज की रात कुछ गडबड हो सकती थी। रीति की आंखों में नींद दूर दूर तक नही थी। उसका पति भी पुलिस विभाग में था। वो अपनी ड्यूटी के प्रति कितना समर्पित है ये तो वो नही जानती थी, मगर उसके प्रति वो समर्पित तो क्या, उसके लिये एक दैत्य से कम ना था। शादी के चार सालों में वो कितनी बार पिट चुकी थी, ये गिनती करना तो उसने बहुत पहले ही छोड दिया था। निर्धनता उसका सबसे बडा दोष था। दो रोटी और एक छत के लिये , वो सब कुछ चुपचाप सहन कर लेती थी, मगर अब सब्र का बाँध भी टूट रहा था। वो आजादी चाहती थी, मगर आजाद होकर जाती कहाँ? विदाई के समय ही उसकी विधवा माँ ने कहा था - रीति तेरा घर तो बस गया बस अब तेरी दोनो बहनों को उनका ससुराल मिल जाय तो मै अपनी जिम्मेदारियों से आजाद हो जाऊंगी। ऐसे में भला कैसे वो अपनी माँ को अपनी विपत्तियां बताकर चिन्ता के जाल में उलझाती। आज की रात उसने फैसला कर लिया था कि सुबह होने से पहले वो आजाद हो जायगी। कमरे की छत पर लटके पंखे को बार बार देखती, हर बार पूरी हिम्मत जुटाती मगर उस पर झूल जाने का साहस ना जुटा पाती। तभी उसके कानों में कई बरस पहले उसकी एक अध्यापक के कहे शब्द गूंज उठे- आजादी सबसे प्यारी चीज है। देश की युवा पीढी आजाद देश में सांस ले सके , इसके लिये लाखों ने अपनी जान हसते हसते दे दी। अब इस आजादी को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।आजादी का मतलब है- अन्याय से आजादी, सोच की आजादी।
रीति जिस साडी को हाथ में लिये पंखे पर डालने के लिये बैठी थी, वही छोडकर उठ खडी हुयी। हाथों में अपनी डिग्रियां और कुछ रुपये लेकर घर से बाहर निकल आयी, अपने नये आकाश की तलाश में जिसमे वो आजादी की सांस ले सकेगी।


7 टिप्‍पणियां:

  1. Bahut sundar kahani likhi hai apne !!
    -Nishat

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  2. सच है समय बदल रहा है और अच्छाई कि ओर जा रहा है

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  3. आज़ादी के तमाम रूप. रीति के निर्णय से सहमत. सुंदर कहानी अपर्णा जी.

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  4. संक्षिप्त और सुंदर कहानी अपर्णा जी

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  5. अच्छी कहानी । हिम्मत करने से रास्ते निकल हे आते है ।

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