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मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

मुकद्दमें जब चलाये जाते हैं



बेदिल दिल देखे उनके
जो दिलवाले कहलाते हैं
चराग बाटंने वाले अक्सर
रातों में ख्वाब जलाते हैं

कहाँ दिखेगें दाग भला
सफेदपोशों के दामन में
गुनाहो का कारोबार तो ये
खाली पेटों से करवाते हैं

कैसे ढूंढेगा कोई भला
अंधियारे में उजियारे को
सच को बदनाम झूठ के
जब नकाब पहनाये जाते हैं

कहने से भला कहाँ होगा
इश्क आजाद मजहब से
इंसा तो क्या खुदा पर भी
जब मुकद्दमें चलाये जाते हैं

किस हद तक और गिरेगा
हैवान अपनी हैवानियत से
इंसा छोडो, मुर्दो पर भी
जब इल्जाम लगाये जाते है

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना है अपर्णा जी | साझा करने के लिए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4.10.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3114 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 4 अक्टूबर 2018 को प्रकाशनार्थ 1175 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. कहाँ दिखेगें दाग भला
    सफेदपोशों के दामन में
    गुनाहो का कारोबार तो ये
    खाली पेटों से करवाते हैं

    बहुत सुंदर पंक्तियाँ, आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  5. किस हद तक और गिरेगा
    हैवान अपनी हैवानियत से
    इंसा छोडो, मुर्दो पर भी
    इल्जाम जब लगाये जाते है......सत्य वचन। सार्थक भाव!

    जवाब देंहटाएं
  6. एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
    यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर ...लाजवाब...
    खुदा पर भी मुकदमे चलाये जाते हैं...
    बहुत खूब
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

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