बेदिल दिल देखे उनके
जो दिलवाले कहलाते हैं
चराग बाटंने वाले अक्सर
रातों में ख्वाब जलाते हैं
कहाँ दिखेगें दाग भला
सफेदपोशों के दामन में
गुनाहो का कारोबार तो ये
खाली पेटों से करवाते हैं
कैसे ढूंढेगा कोई भला
अंधियारे में उजियारे को
सच को बदनाम झूठ के
जब नकाब पहनाये जाते हैं
कहने से भला कहाँ होगा
इश्क आजाद मजहब से
इंसा तो क्या खुदा पर भी
जब मुकद्दमें चलाये जाते हैं
किस हद तक और गिरेगा
हैवान अपनी हैवानियत से
इंसा छोडो, मुर्दो पर भी
जब इल्जाम लगाये जाते है
बहुत सुन्दर रचना है अपर्णा जी | साझा करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4.10.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3114 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 4 अक्टूबर 2018 को प्रकाशनार्थ 1175 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
कहाँ दिखेगें दाग भला
जवाब देंहटाएंसफेदपोशों के दामन में
गुनाहो का कारोबार तो ये
खाली पेटों से करवाते हैं
बहुत सुंदर पंक्तियाँ, आभार आपका
किस हद तक और गिरेगा
जवाब देंहटाएंहैवान अपनी हैवानियत से
इंसा छोडो, मुर्दो पर भी
इल्जाम जब लगाये जाते है......सत्य वचन। सार्थक भाव!
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंएक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
जवाब देंहटाएंयही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!
बहुत सुन्दर ...लाजवाब...
जवाब देंहटाएंखुदा पर भी मुकदमे चलाये जाते हैं...
बहुत खूब
वाह!!!