प्यार के गीत गाते रहो
हर हाल मुस्कुराते रहो ॥
जीत हार से होकर परे ।
जश्न ए खुशी मनाते रहो ॥
छोड़ परेशानी जमाने की ।
तराने नये गुनगुनाते रहो ॥
गिरा दीवारें जात पात की ।
गिरों को गले से लगाते रहो ॥
बढ़ता चल,चलना ही जिंदगी ।
ठहरों को बात ये बताते रहो ॥
चमकना तन ही काफी नहीं ।
मैले मन का भी मिटाते रहो ॥
कुछ दूरियां ले आती नजदीकी ।
नुस्खा-ए-पलाश आजमाते रहो ॥
सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
अच्छी रचना । हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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