मिल जाता है
जन्म के साथ ही
बहुत कुछ By Default
लडकी के हिस्से आती है
सहनशीलता, ममता, त्याग
और घर की इज्जत
लडके को मिल जाती है
घर जायजाद की चाभी
कुछ भी करने की आजादी
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समय के साथ, पलते बढते
है दोनो
और इस बढते बचपन से
कुछ और मिलता है By Default
अब तुम बडी हो रही हो,
अब तुम बच्ची नहीं रही
ये लडको सी घूमती फिरना
सही नही
जैसे जुमलों की पोटली
मिलती है
By Default
समय चक्र घूमता रहता है
देता रहता है समय समय
पर
कुछ और By Default
युवावस्था की दहलीज भी
खाली हाथों नही मिलती
देती है वो भी
हर वक्त सतर्क रहने की
जिम्मेदारी
समाज की घूरती निगाहें,
वक्त पर घर आने की पाबंदी
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और लडकों को मिल जाता
है लाइसेंस
मौज मस्ती के नाम पर
कुछ भी करने का
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विदाई भी जानती है अपना
कर्तव्य
रिश्तों के नये संसार
के साथ
मिलता है परायापन
By Default
दो घरों के नाम पर
मिलता नही एक भी घर
हाँ मिल जरूर जाते है
कुछ व्रत By Default
सदा सुहागन रहो
जोडी बनी रहे
तुम्हारा सुहाग अमर रहे
जैसे हर आशीर्वाद के साथ
मिलता है
आशीर्वाद By Default
घर में आता है जब
नन्हा मेहमान
सारा आंगन चहक उठता है
सबको देता है अपार खुशी
माँ को विशेष रूप में देता
है
निजी कार्यकलापों की
जिम्मेदारियां
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स्त्री चाहे घरेलू हो
या कामकाजी
रसोई मिलती है उसे
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सडक पर भिडती है
अचानक से दो गाडियां
एक से निकलती है औरत
दूसरे से उतरता है आदमी
भीड से आती है आवाज
उफ ये औरतें क्यों
चलाती हैं गाडियां
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देर रात घर लौटे बेटे
को
सहानुभूति
और
स्त्री को मिलती है
प्रश्नों से भरी
निगाहें
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स्त्री को लडना है
भिडना है
टकराकर आगे निकलना है
इसी By Default से
कि जानती है वो
आखिरकार शक्ति का बिम्ब
है वो
By Default
और बदलना है उसे ही ये
By Default
बहुत खूब।
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