मिस्टर बख्शी, क्या आप मुझे बतायेंगें कि मेरी मर्जी के बिना आपने आज १० बजे मीटिंग कैसे बुला ली?
बेचारे बख्शी जी जो पिछले दो सालों से मिसेज माथुर के साथ से सह प्राध्यापक के रूप में काम कर रहे थे, नियत और धीरे स्वर में बस इतना ही कह सके मैडम, आप हमेशा ही १० बजे का समय ही मीटंग के लिये रखती हैं और कल शाम मैं आपसे मीटिंग का समय पूंछना भूल गया था, आगे से पूंछ लिया करूंगा।
मीटिंग मे कुछ मुद्दों पर बात चल ही रही थी कि चपरासी प्रधानाचार्या माथुर
के कक्ष में सभी के लिये चाय ले कर आ गया।
मिसेज माथुर एक बार फिर असामान्य हुयी और मैथ्स के अध्यापक पांडे जी से
बोली- पांडे जी सब अपनी मर्जी से ही करेंगें क्या? टी क्लब की देखरेख का जिम्मा आपका है तो क्या आप
ही तय करेंगें कि मीटिंग्स में क्या आएगा?
बेचारे पांडे जी का मुंह लटक गया, उन्हे समझ नही आया कि आज ऐसा क्या हुआ,
हमेशा ही तो मीटिंग्स में चाय आती है।
बोले सॉरी मैडम, आइंदा से आपसे पूंछ कर ही मंगाई जायगी। आपके लिये कॉफी
मंगाएं क्या?
मिसेज माथुर - नही रहने दीजिये, चलिये मिस्टर बासू बतायें आप क्या कह
रहे थे।
आज कॉलेज में मीटिंग में देर हो गई थी, लंच भी नही हुआ था। घर आते ही
रसोइये गिरधारी से बोलीं – बहुत भूख लगी है, जल्दी से चाय के साथ पकौडियां निकाल दो, मगर गिरधारी की
रसोई में तो पोहा पहले से ही बन चुका था, दरअसल कल मिसेज माथुर ने ही आज शाम पोहा बनाने
को कहा था। गिरधारी बोला- मैडम वो पोहा बनाया था आपने ……..। इससे पहले कि बेचारा गिरधारी
अपनी पूरी बात कहता, मैडम झुंझलाते हुये बोली – तुमको भी अब अपनी ही मर्जी का करना
है, तुम बताओगे मुझे कि मै क्या खाऊं, क्या नहीं, नही खाना मुझे पोहा, जाइये पकौडिया बनाइये
जा कर।
गिरधारी चुपचाप रसोई में चला गया।
मिसेज माथुर ने सामने टेबल पर रखा पानी पिया और आंख बंद करके खुद से बोलने
लगी- जानती हूं मिस्टर बख्शी जी, पांडे जी आप लोगो ने आज कुछ भी गलत नही किया, गिरधारी, मै जानती हूं कल मैने ही तुमको पोहा बनाने को बोला था, मगर क्या करूं कहां पूरी करूं अपनी
मर्जी, किससे कहूं अपनी मर्जी, किसे समझाये कि उसे विछोह नही सुकून होता है जब जब उमेश लम्बे लंबे बिजीनेस टूर पर जाते हैं, किसको बताऊं कि हर रात रोता है मेरा मन जब मेरा अपना ही मेरी मर्जी को नहीं समझता, या समझ कर भी नासमझ बनते हुये, मेरे मन को मसल कर करता है पूरी सिर्फ अपनी मर्जी, कौन समझेगा कि समाज की ये सशक्त
मिसेज माथुर जो बडी से बडे समस्या से नहीं हारतीं, हार जातीं है हर रात अपने उस पति से जिसे समाज में लोग बहुत समझदार, केयरिंग,
लविंग हसबैंड के रूप में जानते है, शायद हमारे इस समाज में कोई नही जो यह स्वीकर भी
कर सके कि पति भी करते हैं कई कई बार अपनी पत्नी का शोषण, जो कभी भी नही पूंछते अपनी
लविंग पत्नी से उसकी मर्जी।
तभी उसके मोबाइल पर एक नोटिफिकेशन की टोन बजी, अपने आपसे चल रहे वार्तालाप से बाहर आते हुये उन्होने मोबाइल उठाया और देखा, उनके पति ने उन्हे यह मैसेज भेजा था
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 05 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंस्त्री की मर्ज़ी जब खाने पीने में नहीं पूछी जाती , इस पर तो पति अपना हक समझता है । और जब पति की मर्ज़ी न हो तो पूछता भी नहीं ।
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए सोचने पर मजबूर करती कहानी ।
बहुत सही पर शत प्रतिशत नहीं ।
जवाब देंहटाएंNamaskar sir, Thank you so much for coming on blog.
हटाएंAlways looking for your comments.