दिल
में फिर, इक ख्वाब पल रहा है,
जमाना
फिर हमसे, कुछ जल रहा है
उनके आने के लम्हे, ज्यों करीब हुये
इंतजार
कुछ जियादा, ही खल रहा है
पुलिंदे शिकायतों के, मुंह ढकने लगे
तूफा
ए अरमां, बेइंतेहा मचल रहा है
जाने क्या हाल हो, सनम से मिलकर
ख्यालएमौसम,
पल पल बदल रहा है
यादों की गली से, ख्वाबों के शहर तक
पैंडुलम
सा बेचैन, ये दिल टहल रहा है
हर लम्हा सौ बरस सा, है लगने लगा
किसी सूरत,
ना दिल ये बहल रहा है
ऐ चंदा छुप जाना, चुपचाप बादलों में
मेरा
चांद मेरी छत पे, निकल रहा है
घडी घडी देखे नजर, घडी की तरफ
सब्र पलाश से अब ना, सम्भल रहा है
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२०-११-२०२१) को
'देव दिवाली'(चर्चा अंक-४२५४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंLove is special
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 24 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
सुंदर भावों का सृजन ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंThank you Maa'm for appreciation
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