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मंगलवार, 30 नवंबर 2021

कौन चाहता है

रात रात भर यूं जागना, कौन चाहता है
दूर दूर से चांद ताकना, कौन चाहता है

मिलता नसीबों से ही तोहफा ए इश्क
दिल खूंटी पर टांगना कौन चाहता है

सुकून ए आराम देती थी छांव नीम की
मीलों रास्ते रोज नापना, कौन चाहता है

पेट की आग, हर आग से ज़ालिम साहब
झूठी पत्तलें भला चाटना, कौन चाहता है

हसरतें किस दिल को नहीं, मैखानौं की
खाली पैमानों में डूबना कौन चाहता है

चटपटी खबरों से सजतेअखबारे बाजार
बदशक्ल सच को छापना कौन चाहता है

ख्वाहिशें हमको भी, हों रिमझिम बारिशें
पलाश शोलों को तापना कौन चाहता है

4 टिप्‍पणियां:

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