जब तक है श्वासें इस तन में
मै पूर्णविराम नहीं लगाऊंगा
जीवन की हर इक घटना को
मै अर्धविराम ही बतलाऊंगा
इस जग में किसे अभाव नहीं
किंतु रुकना मेरा स्वभाव नहीं
प्राण यात्रा के प्रत्येक लक्ष्य को
मै अर्धविराम ही बतलाऊंगा
जब तक है श्वासें इस तन में
मै पूर्णविराम नहीं लगाऊंगा
भिक्षुक बन क्षण कभी आता
कभी दाता रूप में दे जाता
जीवन की रिक्तता पूर्णता को
मै अर्धविराम ही बतलाऊंगा
जब तक है श्वासें इस तन में
मै पूर्णविराम नहीं लगाऊंगा
सफलता की कोई माप नहीं
असफलता खाली हाथ नहीं
सुखदुख के क्षणभंगुर क्षण को
मै अर्धविराम ही बतलाऊंगा
जब तक है श्वासें इस तन में
मै पूर्णविराम नहीं लगाऊंगा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.3.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4372 में दिया जाएगा| चर्चा मंच ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हासला अफजाई करेगी
जवाब देंहटाएंधनयवाद
दिलबाग
भावपूर्ण सृजन।
जवाब देंहटाएंआशा और सकारात्मकता का सुंदर दृश्य।
वाह!बेहतरीन सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर प्रस्तुति
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