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मंगलवार, 22 मार्च 2022

कुछ गुलाब कुछ कांटे

जाने क्यूं जलते लोग,बुलंदियों के आ जाने पर

बदल जाते क्यूं रिश्तें, गुरबत के आ जाने पर


हटे नकाब अनदिखे, उजले चमके चेहरों से

खुल गई सभी बनावटें, तूफां के आ जाने पर


अरसा हुआ देखे उन्हें, जो रोज मिलने आते थे

दिखे नहीं दिया भी तो, अंधेरों के  छा जाने पर


घर से आंगन खत्म हुये, बैठकें खत्म दुआरों से

मिलना-जुलना खत्म हुआ,मोबाइल के आने पर


इतराते हैं वो तो इसमें, नहीं ख़ता ज़रा उनकी

नजाकत आ ही जाती है, हुश्न के आ जाने पर


दौर वो खोया जब मेहमां, हफ्तों हफ्तों रहते थे

दिन गिनते हैं अपने ही, अपनों के आ जाने पर


सोने चांदी गहनों की, चाहत मां कब रखती है 

खिल जाती है बच्चों सी, बच्चों के आ जाने पर


अभी तलक वो मेरा है, क्यूं कि वो मेरे जैसा है 

जाने पलाश क्या होगा शोहरत के आ जाने पर

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-03-2022) को चर्चा मंच     "कवि कुछ ऐसा करिये गान"  (चर्चा-अंक 4378)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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  2. अभी तलक वो मेरा है, क्यूं कि वो मेरे जैसा है

    जाने पलाश क्या होगा शोहरत के आ जाने पर

    वाह! बहुत ख़ूब

    जवाब देंहटाएं
  3. सोने चांदी गहनों की, चाहत मां कब रखती है

    खिल जाती है बच्चों सी, बच्चों के आ जाने पर...क्‍या खूब ही कहा है अपर्णा जी

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  4. सोने चांदी गहनों की, चाहत मां कब रखती है

    खिल जाती है बच्चों सी, बच्चों के आ जाने पर
    वाह!!!
    क्या बात...लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 24 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  6. अभी तलक वो मेरा है, क्यूं कि वो मेरे जैसा है

    जाने पलाश क्या होगा शोहरत के आ जाने पर
    वाह…क्या खूब लिखा है।

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह ... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं

आपकी राय , आपके विचार अनमोल हैं
और लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक

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