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गुरुवार, 19 अगस्त 2010

राखी

उम्र में छोटे होकर भी
तुम सदा ही मेरी ढाल बने
जब जब बिखरा साहस मेरा
तुम मेरा विश्वास बने

कितनी अदभुद राखी थी वो
जब तुम्हे गोद में थामे थी
बडी लगन से बडे जतन से
वो पहली राखी बाँधी थी

मुझे याद है वो दिन अब भी
जब मेरी उँगली पकड तुम चलते थे
मेरी पेंसिल और किताबों को
तुम अपने खिलोने समझते थे

इक उस दिन ही पापा जी से
तुम पैसे माँग के लाते थे
बडे गर्व से जेब में रखकर
पाटे पर पलथी जमाते थे

कब हम तुम इतने बडे हुये
कब समय के हाथो मजबूर हुये
इक आँगन की छाँव से कब
हम तुम इतने दूर हुये

पर खुश हो जाती हूँ देख के मै
जब तुम परदेश से आते हो
पूरे बरस अपने हाथों में भाई
तुम भेजी हुयी राखी सजाते हो

माना आज नही मुंकिन की
आकर सजाऊँ मै तेरी कलाई
पर ना समझना भेज के राखी
बस जग की है मैने रीत निभाई

राखी के कच्चे धागों में
पिरो दिया है अपना प्यार
देती हूँ आशीष तुम्हे ये
खुशियाँ खेले तेरे द्वार

3 टिप्‍पणियां:

  1. रक्षाबंधन के अवसर पर भाई की याद में सुंदर रचना बधाई

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  2. meri bahanein sabse acchi
    dono ko hota hai garv
    yaad bahut hi karte bahanein
    jab aata raakhi ka parv

    Baaki baad mein likheinge Dd2 :-)

    जवाब देंहटाएं
  3. ये रही आगे की बात ..............

    मेरी बहनें सबसे अच्छी
    दोनो को होता हैं गर्व
    याद बहुत ही करते बहनें
    जब आता राखी का पर्व

    याद हैं वो दिन हमें भी
    जब चले थे साथ में
    ले गये हमको दिखाने
    स्कूल बात ही बात में

    डांट खायी साथ में
    भाई बहन ने बस तभी
    सोच कर बस रह गये
    क्यों गरम हैं होते सभी

    याद हैं वो दिन भी दीदी
    जब मिले थे हम नहीं
    आके स्कूल में हमारे
    ढूंढते थे तुम वहीँ

    देख कर आँसू तुम्हारे
    दुख हुआ था हमें भी
    पर पता चल गया था बस
    प्यार हैं हम में सभी

    याद हैं हमको वो दिन
    जो आये स्कूल से अकेले
    लग रहा था खो दिया भाई
    को कैसे हम ये झेलें

    हो जो ये इत्तफाक हम सबका
    स्कूल से और खोने से
    बात अच्छी हैं यही कि हम
    सब खुश हैं दूर हैं रोने से

    मम्मी पापा चाहते हम साब रहें यूंही साथ में
    झगड़ते भी रहें हम पर प्यार कि ही बात में!

    जवाब देंहटाएं

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