ना तुमसे थे
सम्बंध रुधिर के
ना तुमसे रिश्ते
जाति धर्म के
फिर भी तुझमे
मेने पाये
अंश अपनी
आत्मा के
कितनी भी दूर
गये हम तुमसे
सदा ह्रदय के
पास ही पाया
जीवन की
काली रातों में
इक तूने ही मेरा
साथ निभाया
मुझे याद है
वो दिन अब भी
जब मैने नौकरी
पायी थी
और भूल के अपनी
असफलता तुमने
मेरे संग दिल से
ढेरो खुशी मनायी थी
वो सच्चा स्नेह तुम्हारा
याद जब जब आता है
आँखे नम हो जाती हैं
सीना चौडा हो जाता है
मुझे गर्व कि
मुझको तुमसा
मित्र मिला
इस जीवन में
मुश्किलों का डर ना
मेरे मन में
जब साथ तेरा
इस जीवन में
जीवन की
जवाब देंहटाएंकाली रातों में
इक तूने ही मेरा
साथ निभाया
मुझे याद है
वो दिन अब भी
जब मैने नौकरी
पायी थी
सच्चे मित्र यूँ ही साथ निभाते हैं ....
मुसीबत के वक़्त ही मित्रता की पहचान होती है .....
सुंदर रचना .....!!
भावुक कर देने वाली कविता है।
जवाब देंहटाएं----
कल 04/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सच्चा मीत अगर मिला, रखें जैसे दरपन
जवाब देंहटाएंनिश्छल रहे, रखे सदा, जीवन सरस पावन
सुन्दर रचना.... सादर बधाई...
ना तुमसे थे,सम्बंध रुधिर के
जवाब देंहटाएंना तुमसे रिश्ते,जाति धर्म के
सदा ह्रदय के,पास ही पाया
जीवन की,काली रातों में....!
अद्भुत अभिवक्ति....!
सच्ची मित्रता की पहचान,
मुश्किल घड़ियों में ही हो....!!