आज अनजाने में मुझसे
इक खता ऐसी हुई
चोट पहुँची अपने किसी को
आँख नम मेरी हुयी
वक्त और हालात नें
इतना बेबस मुझको किया
अपनी ऐसी जिन्दगी पे
मुझको शर्मिंदगी हुयी
हाथ जो कल तक उठे थे
माँगने को उनकी दुआ
आज उनके कत्ल को
मजबूर ये जिन्दगी हुयी
था बसाया जो चमन
दिल से बडे अरमान से
वो ही मेरी हर खुशी की
कब्रगाह है बन गयी
अनजाने में की गयी भूल खता नहीं होती है
जवाब देंहटाएंबेबसी की कहानी जफा नहीं होती है
गर दुआओं में उठे है हाथ तो
मेरे लिए वो दुआ ही होती है
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कल 20/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह ...बहुत ही बढि़या।
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