पलाश सिर्फ अपनी डाल पर लगता है और खिल कर धरती पर गिर जाता है। वह सिर्फ अपने लिए अपनी डाल पर ही सीमित रहता है। और डाल से अलग होते ही अपने अस्तित्व को समाप्त कर देता है। यही है उसका पूर्ण समर्पण उस डाल के प्रति जिसने उसको जीवन दिया ।
गुरुवार, 15 जुलाई 2010
भूख बडी या नींद
इंसा सोए बिना रह सकता या
भूखे पेट वो सो सकता है
हम आज तलक ना जान सके कि
भूख बडी या नींद
रोटी और नींद दोनो में
किसकी कीमत है ज्यादा
या रात दिवस के जैसे
जीवन नही हो सकता पूरा
गरीब बिना रोटी है मरता
धन वाले तरसते सोने को
कोई कर्ज ले खाने को
कोई दान चढाये सोने को
कभी सूखी रोटी से भी
त्रप्त आत्मा हो जाये
कभी कीमती मेवे भी
एक पेट ना भर पाये
इक टूटी सी खाट कभी
स्वप्न लोक की सैर कराये
कभी रेशमी मखमल भी
दो पल का ना चैन दे पाये
मिल जुल कर चाहे गर हम तो
सभी खाये और सोये जग में
भूखो को दे खाने को और
ले उनसे दुआयें चैन से सोयें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कल 07/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सार्थक अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंसादर
भूखो को दे खाने को और
जवाब देंहटाएंले उनसे दुआयें चैन से सोयें
बहुत खूब.....
www.poeticprakash.com
गहन चिंतन ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंthoughtful..liked it
जवाब देंहटाएं