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गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

कागज की टीस

लैपटाप पर करते करते काम
एकदिन अचानक
आया मुझे याद  
लिखना कागज पर
बैठ गया लेकर
अपना फेवरेट
पुराना लेटर पैड 
और बॉलपेन
जिसके पीले पन्ने
दे रहे थे गवाही
मेरे और उसके
रिश्ते की उम्र की
लिखना
शुरु भी न किया
विचारों का तूफान
हिलाने लगा मस्तिष्क को
नाना प्रकार के ख्याल
घेरने लगे मन को
तभी कानों में आयी
करुण आवाज
इधर उधर देखा
कही किसी को न पाया
सोचा लगता हुयी कोई शंका
बनाने लगा
कोई शेर गजल या कविता
जैसे ही कलम ने
स्पर्श कागज का पाया
फिर से ठ्हरों का स्वर
कानों से टकराया
मै हूँ तुम्हारे लेटर पैड का
पीला पड गया पन्ना
कर ही दी तुमने आज पूरी
मेरी अधूरी तमन्ना
चाह रहा हूँ करना
मित्र तुम्हारा धन्यवाद
अरसे बाद की सही
आयी तो तुम्हे मेरी याद
हर दीवाली जब करते थे तुम
अलमारी की सफाई
मुझे लगता था इस बार तो
मेरी शामत आई
करने लगता था कोशिश छुपने की
किताबों के बीच
डरता था बेंच न दो 
कबाड के बीच
किन्तु मुझ पर जमी धूल
पोंछ कर कुछ सोच कर
जब रख देते थे रैक में
इतरा जाता था झूम कर
तुम्हारी गोद में रखा लैपटाप
हर दिन मुझे चिढाता था
मुझे जलन नही होती
बस खुद पर खेद हो जाता था
कि नही हूँ मैं गतिमान
आधुनिक तकनीक सा
सामर्थ्य भी है सीमित
विस्तॄत भी नही नोट्पैड सा
फिर भी करता हूँ तुमसे
छोटा सा निवेदन
तोडना न कभी
मुझसे अपना बन्धन
चाहे लिखना
पीड़ा मन की
या लिख लेना
याद भूली बिसरी 
चाहे जितना
मुझे काटना 
या मिटाना
मगर
न फेंकना फाड कर
किसी कूडेदान में
बस रख देना सहेज कर
पुनः किताबों के बीच में
यदि सम्भव हो तो मान लेना
मेरी छोटी सी विनती
यूं ही दिखा दिया करो
यदा कदा धूप हवा रोशनी
क्षीण होते शरीर में
आ जायगी कुछ श्वांस
जी उठेगा मुझमें भी
जीवित होने का अहसास
देता हूँ मै भी तुम्हे ये वचन
भले वक्त के कारन
पड जाऊँ धुंधला
किन्तु शब्दों के साथ
सहेजे रहूंगा 
वो सारे अहसास
जो बांटोंगे आज
लिखते लिखते मेरे साथ

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-12-2017) को "सब कुछ अभी ही लिख देगा क्या" (चर्चा अंक-2819) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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