ये जिन्दगी है, जंग
का मैदान नहीं।
हर बात में यूं जीत
हार अच्छी नहीं॥
मिलते हैं रिश्तें,
बहुत खुशनसीबी से।
बात बात पर ये तकरार
अच्छी नहीं॥
मना लो हर दफा, जिनसे
तुझे चाहत।
दरम्यां दिलों के ये
दीवार अच्छी नहीं॥
अहमियत वक्त की पहचान
वक्त पर।
किस्मतों की सदा दरकार
अच्छी नहीं॥
ना हाथ बढाओ गर दिल
नहीं मिलता।
फरेबी कसमों की फुआर
अच्छी नहीं ॥
फिक्रमंदी का दिखावा
है किसके लिये।
आवाम कह रही सरकार
अच्छी नहीं ॥
जिस दर ना हो कद्र
तेरे अरमानों की।
पलाश उस ठौर इज़्तिरार अच्छी नहीं॥
** इज़्तिरार= अकुलाहट
बेहतरीन ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंना हाथ बढ़ाओ , गर दिल नहीं मिलते फरेबी कसमों की फुहार अच्छी नहीं लगती ..वाह बेहतरीन ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल दी
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