कह दो जो मन में तेरे, नदियों को बह जाने दो
मत रोक उसे जो जाता है, जो आता है आने दो
दो चार दिनों का मेला है, रुकना है निकलना है
तोडो रस्मों की जंजीरे, उजले कल को आने दो
छोटी छोटी सी बातों में, उलझों ना दुनियादारी में
कदम बढा जग जीतो, जो खोया खो
जाने दो
खुशी और गम दोनों में, मेहमां
बनकर आते
मत रोको इन अश्कों को, जो बहते है बह जाने दो
उगते सूरज संग दुनिया, डूबे के
अपने बेगाने
चलता जा तू मस्ती में, जो जलता है जल जाने दो
क्या कहा, क्यूं कहा, इस हिसाब में भला क्या रखा
भूलों कडवे किस्सो कों, वापसी के कुछ बहाने दो
जीवन इक झूठी माया, मरने से कैसा घबराना है
क्यूं डर डरकर यूं जीते हो, जो होता है हो जाने दो
मन चाहा न मिले अगर, समझ मर्जी खुदाया की
परेशां क्या होना पलाश, रौशन सुबहों को जाने दो
बहुत सुन्दर गीतिका।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
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