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शनिवार, 4 सितंबर 2010

गुरु का अभिनन्दन

गुरुवर आज करो स्वीकार
मेरा शत शत अभिनन्दन ।

तेरी शरण में आकर ही
धन्य हुआ मेरा जीवन ॥

माँ ने मुझको जन्म दिया
और पिता ने मुझको पाला ,
पर जीवन की मुश्किल राहों में
इक तुमने ही मुझे सभांला ,
हर जनम में आशीष आपका पाऊँ
यही करूं ईश्वर से वन्दन ।

गुरुवर आज करो स्वीकार
मेरा शत शत अभिनन्दन ॥

दुनिया में जब सबने कहा
मुझको मूरख अज्ञानी ,
इक तुमने ही तो थी
मेरी प्रतिभा पहचानी ,
मेरे संग तप कर तुमने
बना दिया मुझको कंचन ।

गुरुवर आज करो स्वीकार
मेरा शत शत अभिनन्दन ॥

विश्वामित्र से पाकर शिक्षा
रामचन्द्र भगवान बने ,
द्रोण मूर्ति से लेकर  दीक्षा
एकलव्य जग में महान बने ,
सानिध्य आपका पाकर के
पावन हुआ मेरा मन दर्पण ।

गुरुवर आज करो स्वीकार
मेरा शत शत अभिनन्दन ॥

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