१५ अगस्त की तैयारियां बहुत जोर शोर से चल रही थी , शम्भू नाथ जी का मंत्री बनने के बाद अपने गाँव में पहला दौरा था . वो कुछ ऐसा करना चाह रहे थे जिसे बरसों याद रखा जाय ।
गाँव को खूब सजाया जा रहा था , मंत्री जी स्वयं तैयारियों का जायजा ले रहे थे । कि तभी उन्होने अपने सेकेट्री से कहा- हरिकिशन ये तो सब ठीक है लेकिन ये बताओ कल के लिये खास क्या है , वो बोला- सर आदेश कीजिये ।
हम सोच रहे है कि क्यों ना कल कबूतर उडा कर शान्ति का संदेश दिया जाय । क्यो कैसा रहेगा ?
जी सर बिल्कुल ठीक ,फिर धीरे से कुछ डरते डरते वो बोला- मगर सर इसमे नया ...... ।
तभी मंत्री जी हसते हुये बोले - तुम भी ना रहोगे मूरख ही । अरे भई हम एक दो नही पूरे एक हजार कबूतर उडायेगे । अब जाइये आप और कबूतरों का इन्तजाम कीजिये , और हाँ ये बताइये हमारे लिये कबूतरी का इन्तजाम करने के लिये भी क्या आदेश की ही प्रतीक्षा कीजियेगा । कुछ तो खुद से कर लिया कीजिये ।
इस बार हमें भ्रष्टाचार , महंगाई , बेईमानी , आतंकवाद, गरीबी, भुखमरी , साम्प्रदायिकता और आरक्षण से मुक्ति मिले आज़ादी मिले .. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
जवाब देंहटाएंकबूतर तो ठीक हैं लेकिन यह कबूतरी ....वर्तमान नेता की सोच को बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने ....!
जवाब देंहटाएंयही तो आज़ादी है, जिसमें हम विकृतियों के ग़ुलाम हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा आपने.
जवाब देंहटाएंकल 12/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
कबूतरी का इंतज़ाम ........
जवाब देंहटाएं:)
सार्थक व्यंग्य।
जवाब देंहटाएं------
डायनासोरों की दुनिया
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
एक कड़वा सच...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा है आपने ... ।
जवाब देंहटाएंआज-कल के नेताओं की पोल खोलती हुई ......सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंहाँ, एक में क्या मिलेगा।
जवाब देंहटाएंशानदार व्यग्ंय।
जवाब देंहटाएंस्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।
जवाब देंहटाएं