मनोहर भइया
आज हमार जी मा बार बार रहि रहि के जाने काहे ई बिचार आ रहा है जइसन हम कउनो दगा करा
है। हमका कुच्छौ समझ नही आ रहा, का सही है का गलत। अब आपै हमका रास्ता दिखाओ।
रहीम कल
से राबर्ट कहलाने वाला था, गाँव में आये मिशनरी के लोगो से उसने घर की रोटियों के लिये
धर्म परिवर्तन करने को हांमी तो भर दी थी, मगर अब उसकी आंखों से नींद कोसो दूर थी।
मन में उथल पुथल थी, कि कल से जाने क्या क्या बदल जायगा। और अपनी इसी ऊहा पोह को शान्त
करने के लिये अपने मित्र मनोहर जिसको वो अपने से भी ज्यादा मानता था, के पास आया था।
कुछ देर
तक ऐसा सन्नाटा पसरा रहा कि अगर एक पत्ता भी गिरता तो उसकी आवाज भी दूर तक साफ सुनाई
दे जाती। फिर उस सन्नाटे की चुप्पी को तोडते हुये मनोहर ने बहुत गम्भीर मुद्रा में
रहीम से कहा- भैया हम गरीब लोगन का एक ही धरम है और वो है अपने परिवार का दुई बखत की
रोटी देना। सुख सुबिधा तक तो हम सोच ही नही सकत। हमार नाम राम होय, रहीम होय या राबर्ट
का फरक पडत हैं, ई सब तो अमीर लोगन की खातिर है। औ फिर हमका इक बात बताओ तुमहार नाम
बदल जाय से का तुम्हार करम बदल जइहै, का तुम्हार भासा बदल जइहै, का तुम कल से इंगलिश
मा गिटिर पिटिर करै लगिहो, का हमार तोहार रिशता बदल जइहै, का ई गाँव का हवा पानी बदल
जइहै, का तुहार आतमा बदल जइहै | ना भइया कुच्छो ना बदली, कल भी तुम अइसै हमार साथ बैठियो,
बतलइहो। बस फरक इत्तै होई कि तुम्हार घरवाली, तुम अउर तुमहार बच्चा भूखे पेट ना सोइहै। भैया
हाथ मा चार पैसा आये का चाही। चाहे उई खुदा के घर से आवै, या ईशा के।
तुमका तो
खुश होए का चाही कि कल से तुमका काम मिल रहा है। अब तुमहो इंसान हुई जइहो, नही तो गरीब
मनई अउर कुकुर मा ज्यादा फरक नही।
अब जाओ
और चैन से सो जाओ, अब तुहार दुख के दिन खतम, हाँ ई बात याद रख्खेओ हमार लिये तुम हमार
रहीमै रहिहो।
बात तो सोचने की है, आखिर क्या बदल जाता है धर्म परिवर्तन से, क्या वाकई,
ईश्वर, खुदा या गॉड गिनती करते होंगे, कि धरती पर कितने लोग है जो उनको मानने वाले हैं।
क्या वाकई में कही सबकी अलग अलग सत्ता है, क्या गले में तुलसी की माला डाल कर कोई हिन्दू,
या क्रास डाल कर कोई इसाई बन जाता है। क्या कल तक मस्जिद में सजदा करने वाला आज अपनी
मुसीबत में, या अल्लाह, या खुदा की जगह ओह गॉड कह पायगा। क्या सुबह उठ कर हनुमान चालीसा
पढने वाला, पाँच वक्त की नमाज अदा करते समय राम को याद नही करेगा। और अगर वो ऐसा करेगा
तो क्या खुदा या भगवान उससे नाराज हो जायेंगें। हकीकत की जमीन पर क्या क्या बदलेगा
धर्म परिवर्तन से.........
सार्थक आवाज!
जवाब देंहटाएंबढिया पोस्ट!!!
जवाब देंहटाएंमैंने आपकी पोस्ट पढ़ी किन्तु इस पर कुछ कहना नहीं चाहूंगा , क्यूंकि मैं अगर कुछ कहूँगा तो आपकी पोस्ट से मेल नही मिलेगा !!
जवाब देंहटाएंयोगी जी, आपके हर विचार का स्वागत है
हटाएंचिंतनशील प्रस्तुति ...
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