तू ही दर्द मेरा, हमदर्द मेरा
शामें तू ही, सबेरा भी मेरा................
मिलकर ही तो, मिल पाये हम
जीवन के सुनहले रंगों से।
क्या धूप है औ छाया है क्या
जाना तेरे संग चलते चलते॥
तू ही मंजिल मेरी, रास्ता मेरा
कदम तू ही, साया भी मेरा
तू ही दर्द मेरा.................
तू ही दर्द मेरा.................
खाली खाली से रहते थे
जब तक तुझको ना पाया था
सूने सूने से इस दिल में
उम्मीदों का घर ना बसाया था
तू धडकन मेरी, अरमान मेरा
ख्वाइश तू ही, मकसद भी मेरा
तू ही दर्द मेरा..............
तू ही दर्द मेरा..............
सूरज चांद सितारे अम्बर
तुझसे ही रौशन होते है।
तेरी नजर के एक इशारे से
मौसम भी सुहाने होते हैं||
तू बरखा मेरी, भादौ मेरा
फागुन तू ही, अगहन भी मेरातू ही दर्द मेरा.............
बहुत ही सुंदर रचना भई वाह क्या बात है ....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है.
पलो का हिसाब कौन कहाँ कब समझ पाता है ..बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार को '
जवाब देंहटाएंभोले-शंकर आओ-आओ"; चर्चा मंच 1892
पर भी है ।
Waaaah bahut khoob
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