क्या होगा कुरेदने
से, स्मृतियों के पल
कुछ दबी आंधियां, तूफान
बन जायेंगी
जितना भी तय करेंगें, वो बीता सफर
वापसी में तय हैं, कडवाहटें भी आयेंगी
याद ना कर उसे, जो दर्द
का कारन था
आप उम्र भर उसे, माफ न कर पायेंगी
कुछ कदमों की आहटें
हैं, प्रतीक्षा से परे
अतिथि सा भी उसे, स्वागत न दे पायेंगी
जीवन नही, सिर्फ स्वप्न पूर्ण करने को
कुछ बातें हमेशा ही,
अधूरी रह जायेंगी
खुश रहने का तरीका, सुझाती है पलाश
पतझड को कर विदा, बहारें
फिर आयेंगी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-02-2017) को
जवाब देंहटाएं"हँसते हुए पलों को रक्खो सँभाल कर" (चर्चा अंक-2592)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक