क्या होगा कुरेदने
से, स्मृतियों के पल
कुछ दबी आंधियां, तूफान
बन जायेंगी
जितना भी तय करेंगें, वो बीता सफर
वापसी में तय हैं, कडवाहटें भी आयेंगी
याद ना कर उसे, जो दर्द
का कारन था
आप उम्र भर उसे, माफ न कर पायेंगी
कुछ कदमों की आहटें
हैं, प्रतीक्षा से परे
अतिथि सा भी उसे, स्वागत न दे पायेंगी
जीवन नही, सिर्फ स्वप्न पूर्ण करने को
कुछ बातें हमेशा ही,
अधूरी रह जायेंगी
खुश रहने का तरीका, सुझाती है पलाश
पतझड को कर विदा, बहारें
फिर आयेंगी
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